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Firozabad : निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मियों की हड़ताल, कई मांगों को लेकर प्रदर्शन

Firozabad : उत्तर प्रदेश में बैंक कर्मचारियों ने सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण के विरोध में 17 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल की। कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन योजना की बहाली, आउटसोर्सिंग पर रोक और बैंकों को मजबूत करने की मांग की। यूनियन ने सरकार से जल्द समाधान की अपील की है।

By: Desk Team  RNI News Network
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Firozabad : निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मियों की हड़ताल, कई मांगों को लेकर प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्सों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों के निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मचारी सड़क पर उतर आए हैं। यूपी बैंक इम्प्लाइज यूनियन के बैनर तले बैंक कर्मचारियों ने राज्यव्यापी हड़ताल का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने अपनी 17 सूत्रीय मांगों को लेकर जोरदार नारेबाजी की और सरकार के फैसलों पर नाराजगी जाहिर की।

कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में बैंकों और बीमा कंपनियों को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाना शामिल है। उनका कहना है कि यह नीतियां कर्मचारियों के अधिकारों का हनन करने के साथ-साथ आम जनता की बैंकिंग सुविधाओं को भी प्रभावित करेंगी। कर्मचारियों ने बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश पर भी कड़ा ऐतराज जताया है। उनका मानना है कि इससे बीमा कंपनियों का उद्देश्य मुनाफा कमाना रह जाएगा, जिससे ग्राहकों की सुरक्षा और सेवा प्रभावित होगी।

इस हड़ताल के जरिए बैंक कर्मचारियों ने सरकार से यह मांग भी की है कि बीमा क्षेत्र की सभी सार्वजनिक कंपनियों को मिलाकर एक इकाई बनाई जाए, जिससे कार्यकुशलता और स्थिरता बनी रह सके। इसके अलावा कर्मचारियों ने आउटसोर्सिंग और संविदा आधारित नियुक्तियों पर रोक लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि बैंकिंग जैसे संवेदनशील क्षेत्र में स्थायी और प्रशिक्षित कर्मचारियों की ही नियुक्ति होनी चाहिए।

एक अन्य प्रमुख मांग नई पेंशन योजना (एनपीएस) को समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को बहाल करने की है। कर्मचारियों का तर्क है कि एनपीएस के तहत उन्हें रिटायरमेंट के बाद स्थायित्व और सुरक्षा नहीं मिलती, जो ओपीएस में सुनिश्चित होती थी। इस मांग को लेकर देशभर में कई कर्मचारी संगठन वर्षों से आंदोलनरत हैं।

बैंक कर्मियों ने कॉर्पोरेट्स द्वारा लिए गए खराब ऋण (एनपीए) की वसूली के लिए सख्त कानून और कार्रवाई की भी मांग की है। उनका कहना है कि आम आदमी के लिए सख्त नियम लागू होते हैं, लेकिन कॉर्पोरेट लोन डिफॉल्टर पर ढिलाई बरती जाती है। साथ ही बैंक सेवा शुल्क को कम करने और जीवन तथा स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी वापस लेने की भी मांग की गई है, ताकि आम लोगों को राहत मिल सके।

हड़ताल के दौरान यूनियन के अध्यक्ष मनीष यादव समेत कई प्रमुख पदाधिकारियों ने कहा कि यह सिर्फ कर्मचारियों की लड़ाई नहीं है, बल्कि देश की बैंकिंग और बीमा व्यवस्था को मजबूत रखने की एक व्यापक पहल है। उन्होंने सरकार से अपील की है कि वह इस आंदोलन को गंभीरता से ले और मांगों पर सकारात्मक निर्णय ले।

इस हड़ताल का व्यापक असर राज्य के बैंकिंग कार्यों पर पड़ा है। कई शाखाओं में कामकाज ठप रहा और ग्राहकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद बैंक कर्मचारी अपने हक की लड़ाई को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं, तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा।

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