दिल्ली-एनसीआर में लगातार हो रही बारिश ने लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। दिल्ली से लेकर गाजियाबाद और नोएडा तक जगह-जगह जलभराव की तस्वीरें सामने आ रही हैं। यह केवल प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि नगर निगम की लापरवाही का भी नतीजा है।
गाजियाबाद के साहिबाबाद लिंक रोड और नमो भारत ट्रेन स्टेशन का हाल सबसे खराब है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किए गए इस आधुनिक स्टेशन के बाहर थोड़ी सी बारिश में ही सड़कें तालाब बन गईं। यह स्थिति साफ दिखाती है कि बारिश के मौसम से पहले नालों और नालियों की सफाई ठीक से नहीं की गई।
हालात से निपटने के लिए नगर निगम ने पंप लगाकर सड़कों से पानी निकालने का अस्थायी इंतजाम किया। मगर यह केवल तात्कालिक समाधान है, स्थायी व्यवस्था नहीं। मंगलवार को तो स्थिति और भी शर्मनाक हो गई जब नगर निगम का ट्रैक्टर कीचड़ में धंस गया और कर्मचारी पानी निकालने में जूझते दिखे। जब मीडिया ने इस लापरवाही को कैमरे में कैद करना चाहा तो कर्मचारियों ने नाराज़गी दिखाई और बदसलूकी तक कर डाली।
सिर्फ नगर निगम ही नहीं, बल्कि जनता भी इस स्थिति की जिम्मेदार है। लोग प्लास्टिक बोतलें और कचरा नालों में डाल देते हैं, जिससे वे जाम हो जाते हैं और बारिश के समय जलभराव और बढ़ जाता है। नतीजतन हर साल बरसात में शहर की सड़कें जलमग्न हो जाती हैं और नागरिकों को परेशानी झेलनी पड़ती है।
दूसरी ओर, दिल्ली-मेरठ हाईवे पर भी भारी जलभराव देखने को मिला। नोएडा और दिल्ली से लौट रहे हजारों लोग घंटों तक जाम में फंसे रहे। हाईवे पर पानी भर जाने से वाहन रेंग-रेंगकर चले और लोग अपने वाहनों में ही फंसे रहे। यह दृश्य साफ दर्शाता है कि एनसीआर में थोड़ी सी बारिश भी यातायात और जनजीवन को पूरी तरह से ठप कर देती है।
हर साल गाजियाबाद और आसपास के इलाके इसी तरह जलभराव की मार झेलते हैं। बावजूद इसके, नगर निगम द्वारा समय से सफाई और ड्रेनेज सुधार के कदम नहीं उठाए जाते। जब तक जिम्मेदार अधिकारी और आम नागरिक दोनों मिलकर अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाएंगे, तब तक बारिश का मौसम हर साल इसी तरह की मुसीबत लेकर आता रहेगा और एक प्राकृतिक बरसात नागरिक आपदा में बदलती रहेगी।