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कप्तान ऑफिस से पीड़ितों को मिल रही सिर्फ पीली पर्ची, नहीं मिल रहा इंसाफ

मेरठ जिले के थानों में सुनवाई नहीं होने के चलते पीड़ित अब सीधे एसएसपी ऑफिस पहुंच रहे हैं। प्रतिदिन 100 से 150 शिकायतें लगातार कप्तान ऑफिस पहुंच रही हैं। इनमें सबसे ज्यादा शिकायत लिसाड़ी गेट, मवाना और किठौर थाना क्षेत्र की होती हैं। एसएसपी ऑफिस पर शिकायत लेकर पहुंचने वालों में सबसे ज्यादा महिलाएं हैं, जिनके साथ लगातार अत्याचार किया जा रहा है, लेकिन उनको इंसाफ नहीं मिल रहा है। मिल रही है तो सिर्फ पीली पर्ची। कप्तान ऑफिस पर शिकायत लेकर आने वाले फरियादियों और पीड़ितों को सिर्फ पीली पर्ची देकर टरका दिया जाता है।

By: Desk Team  RNI News Network
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कप्तान ऑफिस से पीड़ितों को मिल रही सिर्फ पीली पर्ची, नहीं मिल रहा इंसाफ

मेरठः मेरठ जिले के थानों में सुनवाई नहीं होने के चलते पीड़ित अब सीधे एसएसपी ऑफिस पहुंच रहे हैं। एसएसपी ऑफिस पर सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक फरियादियों की भीड़ लगी रहती है। प्रतिदिन 100 से 150 शिकायतें लगातार कप्तान ऑफिस पहुंच रही हैं। इनमें सबसे ज्यादा शिकायत लिसाड़ी गेट, मवाना और किठौर थाना क्षेत्र की होती हैं। एसएसपी ऑफिस पर शिकायत लेकर पहुंचने वालों में सबसे ज्यादा महिलाएं हैं, जिनके साथ लगातार अत्याचार किया जा रहा है, लेकिन उनको इंसाफ नहीं मिल रहा है। मिल रही है तो सिर्फ पीली पर्ची। कप्तान ऑफिस पर शिकायत लेकर आने वाले फरियादियों और पीड़ितों को सिर्फ पीली पर्ची देकर टरका दिया जाता है। जबकि वह इंसाफ के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं, कुछ फरियादी तो ऐसे मिले जिनके पास अब तक 25 से 30 पीली पर्चियां इकट्ठी हो चुकी हैं लेकिन अभी भी उनकी आंखें इंसाफ के लिए तरस रही हैं।

बता दे मेरठ में तैनात रहे पूर्व कप्तान प्रभाकर चौधरी ने पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए अपने यहां पर आने वाली शिकायत के बदले पीली पर्ची देने का कार्य शुरू कराया था। जिसके चलते तभी से अपनी शिकायत कप्तान ऑफिस पर आने वाले पीड़ितों को पीली पर्ची दी जाने लगी। पूर्व कप्तान के समय से ही पीली पर्ची का चलन जोरों पर है। लेकिन कप्तान प्रभाकर चौधरी के समय में थाना अध्यक्षों को उनका डर रहता था और पीड़ितों को इंसाफ मिलता था। लेकिन आज पीड़ित पीली पर्ची को लेकर कप्तान और थाने के चक्कर लगाते लगाते थक चुके हैं। पीड़ितों के पास दर्जनों पीली पर्ची एकत्रित हो चुकी है लेकिन इंसाफ के लिए वह अभी भी भटकते नजर आ रहे हैं।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक भी पुरजोर कोशिश कर रहे हैं कि उनके यहां पर आने वाले पीड़ितों को इंसाफ मिले लेकिन कहीं ना कहीं थाना अध्यक्षों को कप्तान का जरा भी डर नहीं है। थाना अध्यक्ष के दरबार में रोजाना सैकड़ों की संख्या में फरियादी पहुंचते हैं और थाना पुलिस पर भी कार्यवाही न करने का आरोप लगाते हैं। इसके बावजूद भी कप्तान का डर थाना अध्यक्षों में नहीं दिखाई दे रहा है। मेरठ में कुल 31 थाने हैं। इसके अलावा एक महिला थाना भी है। सभी थानों से अधिकतर शिकायत पुलिस कप्तान के ऑफिस में पहुंचती हैं। जिनको पीली पर्ची देकर सिर्फ आश्वस्त किया जाता है कि कार्यवाही होगी, लेकिन पीड़ित कार्यवाही न होने से परेशान दिखाई देते हैं। यहां सबसे ज्यादा शिकायत लेकर महिलाएं पहुंचती हैं। कप्तान ऑफिस से पीली पर्ची देकर इति श्री कर ली जाती है, जिस पर थानेदार कोई भी संज्ञान नहीं लेते। कप्तान ऑफिस से दी जा रही पीली पर्ची के खेल में न जाने अब तक कितने पीड़ित फंस चुके हैं और इंसाफ के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं। मुख्यमंत्री के आदेश हैं कि पुलिस पीड़ितों के साथ मित्रता वाला व्यवहार करें। लेकिन यहां तो पीड़ितों को इंसाफ ही नहीं मिल रहा तो मित्रता कैसी।

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