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Lucknow : राज्यपाल की अध्यक्षता में ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय का दसवां दीक्षांत समारोह हुआ सम्पन्न

Lucknow : ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ का 10वां दीक्षांत समारोह राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ।समारोह में मेधावी विद्यार्थियों, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों व शिक्षकों को सम्मानित किया गया तथा विश्वविद्यालय में नवाचार और सामाजिक उत्तरदायित्व पर बल दिया गया।राज्यपाल ने विद्यार्थियों को संवेदनशील, सृजनशील और आत्मनिर्भर भारत निर्माण में योगदान देने का संदेश दिया।

By: Desk Team  RNI News Network
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Lucknow : राज्यपाल की अध्यक्षता में ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय का दसवां दीक्षांत समारोह हुआ सम्पन्न

प्रदेश की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ का दसवां दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के मेधावी विद्यार्थियों को उपाधियाँ और पदक प्रदान कर सम्मानित किया।

दीक्षांत समारोह के अवसर पर राज्यपाल ने जनपद बहराइच के 250 आंगनबाड़ी केंद्रों को सशक्त बनाने हेतु संसाधन किटों एवं हेल्थ किट का वितरण किया। उन्होंने बताया कि लगभग 50 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों को सुविधा संपन्न बनाया जा चुका है। यहां छोटे-छोटे बच्चे प्रारंभिक शिक्षा के लिए आते हैं, इसलिए इन केंद्रों की भूमिका बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण और प्रारंभिक विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन केंद्रों के सशक्तिकरण का उद्देश्य बच्चों को बेहतर संसाधन और पोषक वातावरण उपलब्ध कराना है, जिससे वे स्वस्थ, जागरूक और संस्कारित नागरिक बन सकें। उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को प्रेरित किया कि वे प्रदान किए गए संसाधनों का पूर्ण उपयोग करते हुए बच्चों के स्वास्थ्य, स्वच्छता और सीखने की प्रक्रिया में सुधार लाएँ। यह पहल न केवल बच्चों के शारीरिक विकास में सहायक होगी, बल्कि समाज के समग्र विकास में भी योगदान देगी।

इस अवसर पर राज्यपाल ने यह भी बताया कि शैक्षणिक सत्र 2024-25 की सभी उपाधियों एवं अंक प्रमाण पत्रों को डिजिलॉकर में समाहित किया गया है, जिससे विद्यार्थियों को डिजिटल सुविधा का लाभ मिलेगा और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।कुलाधिपति ने विश्वविद्यालय में उत्कृष्ट योगदान देने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया। समारोह के दौरान भाषण प्रतियोगिता के विजेता छात्र ने “विकसित भारत” विषय पर प्रेरक प्रस्तुति दी, वहीं स्कूली बच्चों द्वारा पर्यावरण विषयक गीत की प्रस्तुति दी गई, जिसे राज्यपाल ने सराहा।

राज्यपाल ने इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिसर में नव निर्मित विभिन्न भवनों एवं सुविधाओं का शिलान्यास एवं लोकार्पण किया तथा शिक्षकों द्वारा लिखित पुस्तकों का विमोचन भी किया। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों को अनुसंधान, नवाचार एवं सामाजिक उत्तरदायित्व को अपने कार्यकलापों का केंद्र बनाना चाहिए। समारोह में राज्यपाल ने विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए गाँवों में आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेता विद्यार्थियों को पुरस्कार प्रदान किए तथा चयनित आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को सम्मानित किया। उन्होंने जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी को राजभवन की पुस्तक भेंट की, साथ ही विद्यालय के प्रधानाचार्यों को भी राजभवन की तरफ से पुस्तकें भेंट कीं, ताकि वे विद्यार्थियों में पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा दे सकें।

कुलाधिपति ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि दीक्षांत समारोह किसी भी विश्वविद्यालय का केवल औपचारिक आयोजन नहीं होता, बल्कि यह उस संस्था की शैक्षणिक यात्रा का उज्ज्वल पड़ाव होता है। यह दिन विश्वविद्यालय के लिए गौरव का है और उन छात्र-छात्राओं के लिए जीवन का अविस्मरणीय क्षण है, जिन्हें आज अपनी उपाधि प्राप्त करने का सौभाग्य मिल रहा है। उन्होंने सभी विद्यार्थियों और विश्वविद्यालय परिवार को बधाई दी।

राज्यपाल ने कहा कि इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध फिल्म निर्माता, निर्देशक, कवि एवं सामाजिक चिंतक पद्मश्री मुज़्ज़फ़र अली की उपस्थिति प्रेरणादायक है। मुज़्ज़फ़र अली भारतीय सिनेमा की उस विरासत के प्रतिनिधि हैं जिन्होंने फिल्मों को केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि संवेदना, संस्कृति और समाज का जीवंत दस्तावेज बनाया है। उनकी सृजनशीलता विद्यार्थियों को जीवन में संवेदनशीलता और रचनात्मकता के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देगी। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को निर्देश दिया कि फिल्म और मीडिया से जुड़े कोर्स आरंभ किए जाएं, ताकि विद्यार्थी कला, सृजन और अभिव्यक्ति के क्षेत्र में प्रशिक्षित होकर आगे बढ़ सकें।

राज्यपाल ने कहा कि आज के दीक्षांत समारोह में भी बेटियों ने सर्वाधिक उपाधियाँ और स्वर्ण पदक अर्जित है। बेटियाँ आज हर क्षेत्र में अग्रणी हैं, वे परिवार की जिम्मेदारियाँ निभाते हुए भी राष्ट्र निर्माण में बराबरी की भूमिका निभा रही हैं। यह सामाजिक परिवर्तन केवल संख्या का नहीं, बल्कि समावेशी विकास और सामाजिक संतुलन के नए युग का उद्घोष है। राज्यपाल ने विद्यार्थियों से कहा कि तकनीकी युग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग अध्ययन, शोध और कौशल विकास में करें, किसी को परेशान करने या गलत दिशा में न जाएँ। उन्होंने कहा कि आपकी एक गलती न केवल आपको, बल्कि आपके परिवार को भी संकट में डाल सकती है। इसलिए अपनी प्रतिभा का प्रयोग सदैव समाजहित में करें।

उन्होंने कहा कि “दीक्षा” का अर्थ केवल उपाधि प्राप्त करना नहीं, बल्कि वह प्रक्रिया है जो व्यक्ति को सजग, संवेदनशील और कर्मशील नागरिक बनाती है। वैदिक काल की गुरुकुल परंपरा में शिक्षा पूर्ण होने पर “समावर्तन संस्कार” होता था। उन्होंने कहा कि गुरु और शिष्य का यह संबंध केवल ज्ञान का आदान-प्रदान नहीं, बल्कि चरित्र, नैतिकता और जीवन मूल्यों का संस्कार है। विश्वविद्यालय में शैक्षणिक अनुशासन अत्यंत आवश्यक है। 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य की गई है। जो विद्यार्थी इस सीमा को पूरा नहीं करेंगे, उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को समय पर कक्षा में आना चाहिए, और विद्यार्थियों को भी नियमित अध्ययन के प्रति समर्पित रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि “हमें ऐसे विद्यार्थी तैयार करने हैं जो नौकरी मांगने वाले नहीं, बल्कि नौकरी देने वाले बनें।

राज्यपाल ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन की वास्तविक परीक्षा विश्वविद्यालय की परीक्षा के बाद आरंभ होती है। जहाँ प्रश्न निर्धारित नहीं होते, और न ही उत्तर। वहीं से आरंभ होती है आपकी असली परीक्षा। उस समय केवल ज्ञान नहीं, बल्कि विवेक आपकी सबसे बड़ी शक्ति बनता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य के भीतर के मनुष्य को जागृत करना है, जिससे विद्यार्थी पूर्ण, उत्तरदायी और संवेदनशील नागरिक बनें।

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद से “बी प्लस प्लस” ग्रेड अर्जित किया है। उन्होंने विश्वविद्यालय को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि अब लक्ष्य होना चाहिए। सर्वाेत्कृष्ट ग्रेड की प्राप्ति। उन्होंने विश्वविद्यालय को एनआईआरएफ रैंकिंग की दिशा में तैयारी करने का भी निर्देश दिया।उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा 80 राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय एमओयू किए गए हैं, जो विद्यार्थियों के लिए सहयोग, शोध और नवाचार के नए द्वार खोलते हैं। इन समझौतों का लाभ तभी होगा, जब उनके तहत निरंतर अकादमिक गतिविधियाँ आयोजित होंगी।

राज्यपाल ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत आज विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में अभूतपूर्व गति से अग्रसर है। भारत आज आत्मनिर्भर ही नहीं, बल्कि आत्मविश्वास से परिपूर्ण राष्ट्र है। हम तकनीक, रक्षा, अंतरिक्ष और कृषि के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वदेशी बनाओ, यही आत्मनिर्भर भारत का मूल मंत्र है।

राज्यपाल ने कहा कि भारत ने सदैव “वसुधैव कुटुंबकम” और “सर्वे भवन्तु सुखिनः” के सिद्धांतों को अपनाया है। यह केवल विचार नहीं, बल्कि भारत की सभ्यता की आत्मा है। भारत ने विश्व को शांति, करुणा और समरसता की दृष्टि दी है। हम शांति के समर्थक हैं, परंतु जब कोई हमारी शांति को कमजोरी समझे, तो भारत ने हमेशा अपनी शक्ति का परिचय दिया है।उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को केवल शिक्षा तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का भी निर्वाह करना चाहिए। रक्तदान शिविर, वृक्षारोपण, स्वच्छता अभियान, वृद्धाश्रम व अनाथालय भ्रमण जैसी गतिविधियाँ विद्यार्थियों में करुणा और उत्तरदायित्व की भावना को जगाती हैं।

राज्यपाल ने में कहा कि भारत का भविष्य आप सभी के हाथों में है। आपकी प्रतिभा, आपका परिश्रम और आपका विवेक ही राष्ट्र को विकसित भारत के रूप में स्थापित करेगा।राज्यपाल ने विश्वविद्यालय की प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। इस प्रदर्शनी में विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए ग्रामों के विद्यालयों के विद्यार्थियों द्वारा बनाई गई आकर्षक चित्रकृतियों को प्रदर्शित किया गया। इन चित्रों में ग्रामीण जीवन, पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा तथा सामाजिक सरोकारों से जुड़ी उत्कृष्ट कलात्मक अभिव्यक्तियाँ देखने को मिलीं।

साथ ही, विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए ग्रामों में कराई गई विभिन्न रचनात्मक एवं सामाजिक गतिविधियों पर आधारित पुस्तकों को भी प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया। इन पुस्तकों में उन गतिविधियों का विस्तृत विवरण और विद्यार्थियों की रचनाएँ शामिल थीं, जो विश्वविद्यालय के सामाजिक दायित्व एवं ग्राम विकास में सहभागिता को प्रतिबिंबित करती हैं।प्रदर्शनी का एक विशेष आकर्षण “अवध इनक्यूबेशन सेंटर” के अंतर्गत पंजीकृत 10 नवाचार स्टार्टअप्स थे। इन स्टार्टअप्स के मूल क्षेत्र कृषि, उद्यानिकी, रोबोटिक्स, ड्रोन तकनीक तथा व्यवसायिक योजनाएँ थीं, जो आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हो रहे हैं। छात्रों के नवाचारपूर्ण विचारों एवं उद्यमशीलता की भावना ने इस प्रदर्शनी को विशेष रूप से प्रेरणादायक बना दिया।

इसके अतिरिक्त स्नातक एवं स्नातकोत्तर छात्रों द्वारा निर्मित हस्तशिल्प उत्पाद भी प्रदर्शनी का आकर्षण रहे। जूट से बनी वस्तुएँ, विभिन्न प्रकार के हस्तनिर्मित सजावटी सामान तथा पौष्टिकता से भरपूर मोटे अनाज (मिलेट) से बने खाद्य उत्पादों का प्रदर्शन किया गया। इन उत्पादों ने न केवल ग्रामीण कला और परंपरा को प्रदर्शित किया, बल्कि स्वास्थ्य के प्रति सजगता और सतत विकास की भावना को भी उजागर किया। राज्यपाल ने प्रदर्शनी की सराहना की।

मुख्य अतिथि पद्मश्री मुज़्ज़फ़र अली ने अपने संबोधन में कहा कि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का उत्तर प्रदेश में होना सबके लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि “युवाओं को समाज और पर्यावरण से जुड़कर मानवतावादी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। देशहित में काम करना ही उनका वास्तविक उद्देश्य होना चाहिए।” उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे संवेदनशीलता, सृजनशीलता और सामाजिक उत्तरदायित्व के साथ जीवन में आगे बढ़ें।

उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों को बधाई देते हुए कहा कि विद्यार्थियों की सफलता में माता-पिता, अध्यापक, संस्थान तथा समाज सबका योगदान होता है, इसलिए उन्हें ऐसा बीज बनना चाहिए, जो आगे चलकर वटवृक्ष के रूप में पल्लवित हो और समाज को दिशा दे। उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति अपने जीवन में उत्कृष्टता लाता है, तो वही उत्कृष्टता राष्ट्रहित में परिवर्तित हो जाती है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के मार्गदर्शन और प्रेरणा से प्रदेश में शिक्षा का वातावरण बदला है। विश्वविद्यालयों में निरंतर सुधार, विस्तार और प्रसार हुआ है। उन्होंने विद्यार्थियों से स्वदेशी अपनाने की अपील करते हुए कहा कि स्वदेशी ही सशक्त और विकसित भारत के निर्माण का आधार है।

उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि जिस प्रकार एक कुंभकार घड़े को आकार देता है, उसी प्रकार अध्यापक बच्चों के भविष्य को आकार देते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और कहा कि परिवार, समाज और राष्ट्रहित में कार्य करना ही सच्ची सफलता है। उन्होंने कहा कि एक समय था जब भारत विकासशील देशों में अंतिम पायदान पर था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भारत विकासशील देशों की अग्रिम पंक्ति में खड़ा है।

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