भारत के मुख्य न्यायाधीश Justice बी. आर. गवई ने शनिवार को कहा कि देश और समाज तभी प्रगति कर सकता है जब वह भगवान राम और महात्मा बुद्ध के आदर्शों पर चले। उन्होंने कहा कि कौशांबी की धरती महात्मा बुद्ध की कर्मभूमि है, जिसने दुनिया को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाया।
जस्टिस गवई कौशांबी के आलमचंद स्थित महेश्वरी प्रसाद इंटरमीडिएट कॉलेज के वार्षिकोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि कई वर्ष पहले उन्होंने संकल्प लिया था कि सीजेआई बनने के बाद ही कौशांबी आएंगे, और आज वह संकल्प पूरा हुआ है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि सम्राट अशोक ने जब विश्व पर विजय प्राप्त की, तब उन्होंने युद्ध का नहीं बल्कि बुद्ध का मार्ग अपनाकर मानवता की मिसाल पेश की।
अपने संबोधन में जस्टिस गवई ने कहा कि वकालत के पेशे में अच्छी कमाई की जा सकती थी, लेकिन उन्हें सामाजिक और आर्थिक न्याय देने का अवसर मिला, जो धन से अधिक सम्मानजनक और संतोषप्रद है। उन्होंने कहा कि न्याय देकर जो संतोष मिलता है, वह अमूल्य है।
मुख्य न्यायाधीश ने बच्चों से कहा कि वे ही राष्ट्र का भविष्य हैं। आने वाले भारत की दिशा उनकी शिक्षा और संस्कारों पर निर्भर करती है। विविधता में एकता भारत की पहचान है, और बच्चों ने विभिन्न भाषाओं में प्रस्तुतियों के माध्यम से इस भावना को शानदार रूप से प्रदर्शित किया।
उन्होंने विद्यालय प्रबंधन और शिक्षकों से कहा कि केवल सुंदर भवन ही नहीं, बल्कि अच्छी शिक्षा गुणवत्ता ही असली पहचान है। उन्होंने छात्रों द्वारा पर्यावरण संरक्षण पर प्रस्तुत लघु नाटिका की सराहना की और कहा कि धरती माता की रक्षा हम सभी का कर्तव्य है।
जस्टिस गवई ने कहा कि सेवानिवृत्ति से पूर्व कौशांबी पहुँचकर उन्हें बेहद खुशी हुई। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव और अन्य गणमान्यजनों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली सहित कई न्यायाधीश और न्यायिक अधिकारी मौजूद रहे।