एटा जिले के पंवास गांव में इन दिनों बंदरों का आतंक ग्रामीणों के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है। खासकर गांव की महिलाएं इन हमलों से सबसे ज्यादा परेशान हैं। आए दिन कपड़े सुखाने, चूल्हा जलाने या अन्य घरेलू कार्य करते समय बंदर हमला कर देते हैं। इससे कई महिलाएं घायल हो चुकी हैं। शुक्रवार को गांव की दर्जनों महिलाएं जिला मुख्यालय पहुंचीं और जिलाधिकारी प्रेमरंजन सिंह से मुलाकात कर बंदरों को पकड़वाने की गुहार लगाई।
महिला नसरीन ने बताया कि वह कपड़े सुखाने जा रही थीं, तभी बंदरों ने उन पर हमला कर दिया, जिससे वह घायल हो गईं। उन्होंने कहा कि गांव में कोई अधिकारी सुनवाई नहीं कर रहा, इसलिए अब वे जिलाधिकारी से न्याय की उम्मीद लेकर आई हैं। एक बुजुर्ग महिला केतकी ने बताया कि बंदर उनके घरों में घुसकर रोटियां छीन ले जाते हैं और बच्चों को डराते हैं। एक अन्य महिला कीर्ति ने बताया कि बंदरों ने कल उन पर हमला किया था, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई थीं। उन्होंने बताया कि पूरा गांव बंदरों के डर से सहमा हुआ है और ग्रामीणों का जीना मुश्किल हो गया है।
जिलाधिकारी प्रेमरंजन सिंह ने महिलाओं को समस्या से निजात दिलाने का भरोसा दिलाया और अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे गांव पहुंचकर स्थिति का जायजा लें और जल्द समाधान निकालें। हालांकि, जब इस समस्या को लेकर वन विभाग के अधिकारी के.के. जैन से संपर्क किया गया तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि बंदरों को पकड़ना उनके विभाग की जिम्मेदारी नहीं है। उन्होंने शासनादेश का हवाला देते हुए कहा कि ग्राम पंचायत, ग्राम प्रधान और विकासखंड स्तर के अधिकारी ही इस मामले में कार्रवाई के लिए जिम्मेदार हैं।
वहीं, जब खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) सीतापुर से इस विषय पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने अपनी 28 साल की नौकरी का हवाला देते हुए कहा कि अब तक ऐसा कोई आदेश नहीं मिला है जिसमें विकासखंड अधिकारियों को बंदर पकड़ने की जिम्मेदारी दी गई हो। उन्होंने यह जरूर कहा कि एडीओ पंचायत को मौके पर भेजकर स्थिति का आकलन कराया जाएगा।