बिजनौर से एक बड़ी खबर सामने आई है। नगीना के समाजवादी पार्टी (सपा) विधायक मनोज परास ने मंगलवार को अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। उनके खिलाफ वर्ष 2020 में जानलेवा हमले का मुकदमा दर्ज हुआ था। लगातार अदालत में पेश न होने के कारण उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था।
सरेंडर करने के बाद विधायक की जमानत अर्जी अपर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) कोर्ट नंबर 1 शांतुन त्यागी की अदालत में पेश की गई। लेकिन अदालत ने जमानत अर्जी को खारिज करते हुए उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया। इसके बाद विधायक मनोज परास को बिजनौर जिला जेल भेज दिया गया।
यह मामला 2020 का है, जब विधायक पर गंभीर हमले में शामिल होने का आरोप लगा था। तभी से पुलिस इस केस में कार्रवाई कर रही थी, लेकिन अदालत में हाजिर न होने के चलते कार्रवाई और तेज हो गई थी।
विधायक के सरेंडर के बाद अब राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। विपक्ष इसे कानून-व्यवस्था से जोड़कर देख रहा है, वहीं सपा समर्थकों का कहना है कि परास को राजनीतिक कारणों से फंसाया जा रहा है। फिलहाल विधायक की अगली कानूनी रणनीति पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।