गोरखपुर से सिंचाई विभाग में सामने आया महाघोटाला पूरे पूर्वांचल के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है। गंडक सिंचाई कार्य मंडल द्वितीय गोरखपुर के अधीक्षण अभियंता जय प्रकाश सिंह पर आरोप है कि उन्होंने 25 से 40 प्रतिशत तक कम दरों पर टेंडर जारी कराए। इन टेंडरों के आधार पर कुशीनगर, महराजगंज और गोरखपुर सहित कई जिलों में सिंचाई परियोजनाओं और बाढ़ सुरक्षा कार्य शुरू किए गए। लेकिन न तो इन परियोजनाओं को पूरा किया गया और न ही कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित हुई। जगह-जगह अधूरे और घटिया काम भ्रष्टाचार की ओर साफ संकेत करते हैं।
प्रदेश सरकार ने इन योजनाओं के लिए सैकड़ों करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था। इसका उद्देश्य किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना और बाढ़ से सुरक्षा सुनिश्चित करना था। लेकिन ठेकेदार और इंजीनियर की मिलीभगत ने इस उद्देश्य को पलीता लगा दिया। कम दरों पर काम दिलवाकर गुणवत्ता से समझौता करना और फिर काम अधूरा छोड़ देना यह साबित करता है कि योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचाने के बजाय धन की बंदरबांट की गई।
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि जब करोड़ों रुपये खर्च हो गए, फिर भी नतीजे शून्य हैं, तो इसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए। किसानों के सामने अब भी सिंचाई और बाढ़ सुरक्षा की गंभीर समस्या बनी हुई है। यही कारण है कि अब इस पूरे महाघोटाले की जांच की मांग तेज हो गई है।