अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम जन्मभूमि मंदिर अब अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। इस पवित्र स्थल पर 23 मई 2025 को राम दरबार की प्रतिमाएं—भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी—मंदिर के प्रथम तल पर स्थापित की जाएंगी। इसके बाद मंदिर में 3 जून से 5 जून तक वैदिक विधियों से प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान होगा, जिसमें श्रीराम दरबार के साथ-साथ अन्य विग्रहों की विधिवत पूजा की जाएगी।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने दर्शन व्यवस्था को प्रारंभिक रूप में नियंत्रित रूप से लागू करने का निर्णय लिया है। शुरुआत में प्रति घंटे 50 श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति दी जाएगी। इस प्रकार प्रत्येक दिन लगभग 750 श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे। यह व्यवस्था पहले तीन महीनों तक लागू रहेगी, ताकि मंदिर की भीड़ प्रबंधन क्षमता का परीक्षण किया जा सके। दर्शन की अंतिम तिथि मंदिर ट्रस्ट द्वारा घोषित की जाएगी।
भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने जानकारी दी कि 30 मई 2025 तक श्रीराम मंदिर परिसर में सभी देव विग्रहों की स्थापना पूरी कर ली जाएगी। इसमें मुख्य राम दरबार के साथ-साथ शेषावतार मंदिर, सप्तऋषि मंदिर, और अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों की मूर्तियां शामिल हैं।
राम मंदिर परिसर में सिर्फ मुख्य मंदिर ही नहीं, बल्कि 18 अन्य मंदिरों का भी निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है:
अधिकांश मूर्तियां पहले ही अयोध्या पहुंच चुकी हैं और अब उनकी स्थापना का अंतिम चरण चल रहा है।
राम मंदिर के गर्भगृह में राम दरबार की मूर्तियों की स्थापना के बाद, 5 जून को पूरे परिसर में विधिवत प्राण प्रतिष्ठा और पूजा की जाएगी। वैदिक ब्राह्मणों की उपस्थिति में यह तीन दिवसीय अनुष्ठान संपन्न होगा।
नृपेंद्र मिश्रा ने यह भी बताया कि राम मंदिर परिसर की बाहरी बाउंड्री और ऑडिटोरियम को छोड़कर बाकी सभी निर्माण कार्य दिसंबर 2025 तक पूरे कर लिए जाएंगे।
23 मई को राम दरबार की स्थापना और 3 जून से 5 जून तक होने वाला प्राण प्रतिष्ठा समारोह, अयोध्या को एक वैश्विक आध्यात्मिक केंद्र के रूप में स्थापित करेगा। यह आयोजन करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था को सजीव रूप देगा और भारत की सांस्कृतिक चेतना को नई ऊंचाई पर ले जाएगा।