वर्ष 2025 अपने साथ कई यादें समेटे विदा लेने को तैयार है, लेकिन उत्तर प्रदेश के लिए यह वर्ष स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक अध्याय के रूप में याद किया जाएगा। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने इस वर्ष प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को सशक्त, आधुनिक और जनसुलभ बनाने की दिशा में अभूतपूर्व कार्य किए। इन प्रयासों का सीधा लाभ प्रदेश की करोड़ों जनता को मिला, जिससे इलाज की सुविधाएं पहले से अधिक सस्ती, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण बनीं।
अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित कुमार घोष ने बताया कि मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप वर्ष 2025 में स्वास्थ्य सेवाओं के आधारभूत ढांचे को मजबूत किया गया। इमरजेंसी कोविड रिलीफ पैकेज (ECRP) के तहत प्रदेश में चिकित्सा ढांचे को अभूतपूर्व विस्तार मिला। इस दौरान कुल 83 नई स्वास्थ्य इकाइयों का लोकार्पण किया गया और एक बड़े अस्पताल का शिलान्यास हुआ।
इनमें 26 आईपीएचएल लैब, 38 पचास-बेड के फील्ड अस्पताल, 13 जनपदीय ड्रग वेयरहाउस, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सीसीबी यूनिट और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं। इसके साथ ही सीतापुर में 200 बेड के जिला चिकित्सालय का शिलान्यास भी किया गया।
प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में 1800 और जिला अस्पतालों में 1029 नए आईसीयू बेड स्थापित किए गए। ऑक्सीजन आपूर्ति को सुदृढ़ करने के लिए मेडिकल गैस पाइपलाइन सिस्टम (MGPS) सहित 49 एलएमओ स्टोरेज टैंक लगाए गए, जिससे गंभीर मरीजों को समय पर जीवनरक्षक सुविधाएं उपलब्ध हो सकीं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक डॉ. पिंकी जोवल ने बताया कि योगी सरकार ने मातृ एवं नवजात शिशु स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। इसके तहत जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में 42 बेड वाले पीडियाट्रिक केयर यूनिट स्थापित किए गए। वहीं, 23 जिलों में 32 बेड वाले पीडियाट्रिक यूनिट पूरी क्षमता से संचालित हुए।
नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए प्रदेश में 412 न्यूबॉर्न स्टेबलाइजेशन यूनिट्स (NBSU) की स्थापना की गई। वर्ष 2024–25 में बाह्य रोगी सेवाओं में 27 प्रतिशत और अंतः रोगी सेवाओं में 32 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई। संस्थागत प्रसव, सिजेरियन डिलीवरी, छोटे-बड़े ऑपरेशन, पैथोलॉजी जांच, एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड सेवाओं में भी उल्लेखनीय इजाफा हुआ।
प्रदेश के 74 जनपदों में सीटी स्कैन और सभी 75 जनपदों में डायलिसिस सेवाएं उपलब्ध कराई गईं। जनवरी से नवंबर 2025 के बीच 9.42 लाख सीटी स्कैन और 6.50 लाख से अधिक डायलिसिस सत्र संचालित किए गए। आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एसेंशियल ड्रग लिस्ट का विस्तार किया गया, जिससे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर जिला अस्पतालों तक दवाओं की संख्या बढ़ाई गई।
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत प्रदेश में 318 अस्पतालों को जोड़ा गया, जिनमें 248 कैंसर उपचार से संबंधित हैं। योजना के अंतर्गत दिसंबर 2025 तक अस्पतालों को लगभग 3,862 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।
एंबुलेंस सेवाओं को मजबूत करते हुए 2,249 नई एंबुलेंस बेड़े में जोड़ी गईं, जिससे लाखों मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचाया गया। टीबी उन्मूलन अभियान में उत्तर प्रदेश ने राष्ट्रीय स्तर पर सराहनीय प्रदर्शन किया। जांच की संख्या में 100 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई और 7,191 पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित किया गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 424 प्रतिशत अधिक है।
ई-संजीवनी सेवा के माध्यम से प्रतिदिन औसतन 75 हजार से अधिक कॉल के साथ उत्तर प्रदेश देश में दूसरे स्थान पर रहा। मानसिक स्वास्थ्य के लिए टेली-मानस सेवा को सफलतापूर्वक लागू किया गया, जिससे लाखों लोगों को परामर्श मिला। इसके साथ ही टेलीमेडिसिन और टेली-रेडियोलॉजी सेवाओं का भी तेजी से विस्तार किया गया।
कुल मिलाकर, वर्ष 2025 उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मील का पत्थर साबित हुआ है। आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, तकनीक आधारित सेवाएं और जनकल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से प्रदेश ने एक मजबूत, भरोसेमंद और भविष्य के लिए तैयार स्वास्थ्य तंत्र की नींव रख दी है।