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Lko News: लखनऊ में जातीय जनगणना को लेकर PDA-BJP के बीच पोस्टर वॉर तेज, भाजपा ने अखिलेश और राहुल से पूछा- कौन जात?

लखनऊ में भाजपा और PDA गठबंधन के बीच जातीय जनगणना को लेकर पोस्टर वॉर छिड़ गया है। भाजपा ने राहुल गांधी और अखिलेश यादव से उनकी जाति बताने की मांग की है।

By: Abhinav Tiwari  RNI News Network
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Lko News: लखनऊ में जातीय जनगणना को लेकर PDA-BJP के बीच पोस्टर वॉर तेज, भाजपा ने अखिलेश और राहुल से पूछा- कौन जात?

लखनऊ की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है, और इस बार वजह बनी है जातीय जनगणना। केंद्र सरकार द्वारा जातीय जनगणना पर लिए गए फैसले के बाद, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भाजपा और PDA गठबंधन (सपा-कांग्रेस) के बीच पोस्टर वॉर शुरू हो गया है।

भाजपा युवा मोर्चा के महामंत्री अमित त्रिपाठी की ओर से भाजपा मुख्यालय के बाहर एक बड़ा होर्डिंग लगाया गया, जिसमें सीधा सवाल उठाया गया है— “जातीय जनगणना की उठाई आवाज, अब बताओ कौन जात?” इस पोस्टर में राहुल गांधी और अखिलेश यादव की तस्वीरें भी लगाई गई हैं, जिससे यह साफ है कि भाजपा विपक्षी नेताओं को उनके जातीय बयानों पर घेरने की कोशिश कर रही है।

जाति छुपा क्यों रहे हैं नेता? भाजपा का तंज

अमित त्रिपाठी ने अपने बयान में कहा कि जब जातीय जनगणना की बात होती है, तो सभी को अपनी जाति बतानी पड़ेगी। उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, “राहुल गांधी के दादा फिरोज खान अपने नाम में ‘खान’ लगाते थे। अब राहुल बताएं कि वे किस जाति से हैं।”

उन्होंने समाजवादी पार्टी के प्रमुख पर भी हमला बोला और कहा, “मुलायम सिंह यादव अपने नाम के साथ ‘सिंह’ लगाते थे। अखिलेश यादव को अब स्पष्ट करना चाहिए कि वे ‘सिंह’ हैं या ‘यादव’।”

अखिलेश यादव की तीखी प्रतिक्रिया

लोकसभा सत्र के दौरान जब अखिलेश यादव से उनकी जाति को लेकर सवाल पूछा गया था, तो वे भड़क गए थे। अब भाजपा नेताओं का कहना है कि जो नेता खुद जातीय जनगणना की मांग करते हैं, वे ही अपनी जाति बताने से बचते हैं। इसलिए भाजपा कार्यकर्ता अब पोस्टरों के माध्यम से इन नेताओं से सवाल कर रहे हैं।

जातीय जनगणना पर क्यों है टकराव?

जातीय जनगणना का मुद्दा यूपी की राजनीति में बड़ा चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है। एक तरफ समाजवादी पार्टी और कांग्रेस इसका समर्थन कर रही हैं, वहीं भाजपा ने इस विषय पर प्रश्न उठाना शुरू कर दिया है। भाजपा का कहना है कि विपक्षी दलों का असली उद्देश्य जातिगत राजनीति को बढ़ावा देना है।

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