उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस मुख्यालय में आयोजित दो दिवसीय ‘पुलिस मंथन’ वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सम्मेलन-2025 का शुभारंभ करते हुए कहा कि थाना प्रबंधन पुलिस सिस्टम की बैकबोन है। इसे मजबूत करने के लिए पुलिस विभाग के भीतर आपसी समन्वय, संवेदनशीलता और आधुनिक दृष्टिकोण अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रदेश के सभी थानों में मेरिट के आधार पर थानाध्यक्षों की तैनाती की जाए, ताकि थाने पर आने वाले पीड़ित को तुरंत और मानवीय तरीके से सहायता मिल सके।

मुख्यमंत्री ने पुलिस के बुनियादी ढांचे पर चर्चा करते हुए कहा कि ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्रों तक के थानों में ऐसी व्यवस्था विकसित की जाए, जिससे वे कॉरपोरेट लुक में नजर आएं। उन्होंने स्पष्ट किया कि स्मार्ट पुलिसिंग के लिए बजट की कोई कमी नहीं है। थानों से लेकर अधिकारियों के कार्यालयों तक को आधुनिक तकनीक से लैस किया जाए। इसके साथ ही थानों में बेहतर पार्किंग व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए, ताकि फरियादियों और आम नागरिकों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

मुख्यमंत्री ने पुलिस कमिश्नरेट भवनों के निर्माण में तेजी लाने के निर्देश देते हुए कहा कि पुलिस इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार हॉरिजॉन्टल के बजाय वर्टिकल दिशा में किया जाए। इससे शहरी क्षेत्रों में भूमि का बेहतर उपयोग हो सकेगा और आधुनिक सुविधाएं विकसित होंगी।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बीट पुलिसिंग में सुधार और तकनीकी उन्नयन के लिए ‘यक्ष’ ऐप का लोकार्पण भी किया। कार्यक्रम से पहले मुख्यमंत्री को गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते साढ़े आठ वर्षों में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा किए गए प्रयासों से प्रदेश के प्रति लोगों की सोच में बड़ा बदलाव आया है। आज उत्तर प्रदेश रूल ऑफ लॉ का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है और यूपी पुलिस के कार्यों की देश-विदेश में सराहना हो रही है। उन्होंने कहा कि केवल आत्म-प्रशंसा से नहीं, बल्कि धरातल पर दिखने वाले परिणामों से ही विश्वसनीयता बनती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2017 से पहले पुलिस प्रशिक्षण के लिए पर्याप्त अवसंरचना नहीं थी। आज अवसंरचना सुधार के चलते 60,244 पुलिसकर्मियों का प्रशिक्षण प्रदेश पुलिस के अपने प्रशिक्षण केंद्रों में चल रहा है। यह प्रदेश की गति और प्रगति का स्पष्ट संकेत है।
पुलिस सुधारों के तहत प्रदेश के 7 जनपदों में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया गया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि 2017 से पहले केवल 2 साइबर थाने थे, जबकि अब सभी जनपदों में साइबर थाने और प्रत्येक थाने में साइबर हेल्पडेस्क स्थापित की जा चुकी है। इसके साथ ही प्रदेश में 12 अत्याधुनिक एफएसएल लैब्स तैयार हो चुकी हैं और 6 नई लैब्स निर्माणाधीन हैं। लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंस ने देशभर में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि पहले पुलिस बैरक जर्जर अवस्था में थे, जबकि अब अधिकांश जनपदों में हाईराइज, अत्याधुनिक पुलिस बैरक बन चुके हैं। यूपी PRV-112 का रिस्पॉन्स टाइम 65 मिनट से घटकर 6-7 मिनट रह गया है। सेफ सिटी अवधारणा के तहत 17 नगर निगमों में लक्ष्य प्राप्त किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज वर्दीधारी पुलिस को देखकर अपराधी भयभीत होते हैं, लेकिन यह भय अपराधियों तक ही सीमित रहना चाहिए। आम नागरिक के मन में पुलिस के प्रति सम्मान और श्रद्धा का भाव पैदा करना पुलिस का उद्देश्य होना चाहिए। इस दिशा में कई जनपदों में सकारात्मक प्रयास किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस मंथन कार्यक्रम सीखने और सिखाने का मंच है। वैदिक उद्घोष ‘आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः’ का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जिन जनपदों ने बेहतर कार्य किया है, उनसे सीख लेकर पूरे प्रदेश में लागू किया जाना चाहिए।
प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में जीरो टॉलरेंस नीति के तहत अपराध और अपराधियों पर प्रभावी नियंत्रण हुआ है। वहीं पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण ने बताया कि वर्ष 2017 के बाद अब तक 2.19 लाख पुलिसकर्मियों की भर्ती, प्रशिक्षण क्षमता में कई गुना वृद्धि और तकनीक के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
इस सम्मेलन में पहले दिन 7 और दूसरे दिन 4 सत्र आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें बीट पुलिसिंग, साइबर अपराध, थाना प्रबंधन, महिला एवं बाल अपराध, मानव तस्करी, आपदा प्रबंधन, आतंकवाद निरोध, संगठित अपराध और फॉरेंसिक जैसे विषयों पर गहन मंथन किया जाएगा। पुलिस मंथन-2025 उत्तर प्रदेश में आधुनिक, संवेदनशील और तकनीक-आधारित पुलिस व्यवस्था को और सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में सामने आया है।