राजभवन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के नेतृत्व में पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से मियावाकी तकनीक द्वारा 1760 पौधों का वृक्षारोपण किया गया। इनमें शीशम, जामुन, अमरूद, कचनार, नींबू, लेमनग्रास जैसे प्रजातियों के पौधे शामिल हैं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि पौधारोपण केवल एक गतिविधि नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और समाज में जागरूकता लाने का माध्यम है। उन्होंने बताया कि राजभवन के उच्च प्राथमिक विद्यालय में एक हरित भवन का निर्माण भी कराया जा रहा है, ताकि गरीब व झुग्गी बस्तियों के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके।
राज्यपाल ने नामांकन प्रोत्साहन शिविर की जानकारी भी साझा की, जिसके तहत 51 बच्चों का नामांकन हो चुका है। बच्चों से संवाद करते हुए उन्होंने उन्हें चॉकलेट वितरित की और काव्या नामक बच्ची की ‘पानी अनमोल है’ कविता की सराहना की। कार्यक्रम में लोकगायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने भी सहभागिता की और ‘निमिया के डाल’ समेत कई गीतों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी ने कहा कि मियावाकी पद्धति से उनका यह पहला पौधारोपण था और उन्होंने इसे सौभाग्य माना। उन्होंने बताया कि बीते सात-आठ वर्षों में प्रदेश में 200 करोड़ पौधे लगाए गए हैं, जिससे उत्तर प्रदेश देश में वनीकरण के मामले में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। कार्यक्रम में राजभवन के अधिकारी, कर्मचारी और स्कूली बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
राज्यपाल ने बच्चों की मदद से मौसमी फूलों के पौधे भी लगाए और राजभवन के बोनसाई गार्डन का निरीक्षण किया। वन विभाग द्वारा राज्यपाल समेत सभी विशिष्ट अतिथियों को स्मृति स्वरूप पौधे भी भेंट किए गए।
यह तीसरा अवसर था जब राजभवन में मियावाकी तकनीक से पौधारोपण किया गया। इससे पहले लगभग 10,000 पौधे इस पद्धति से रोपे जा चुके हैं, जो राजभवन को हरित और पर्यावरणीय दृष्टि से सुदृढ़ बनाने में सहायक हैं।
कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव राज्यपाल डॉ. सुधीर महादेव बोबडे, विशेष कार्याधिकारी श्री अशोक देसाई, विशेष कार्याधिकारी (शिक्षा) डॉ. पंकज एल. जानी समेत कई वरिष्ठ अधिकारी, शिक्षक और छात्र-छात्राएं शामिल रहे।
राज्यपाल ने सभी से अपील की कि प्रकृति और पर्यावरण को बचाने में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें, ताकि आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध पर्यावरण और हरित भविष्य मिल सके।