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Varanasi: ओलंपिक मेडलिस्ट ललित उपाध्याय ने अंतरराष्ट्रीय हॉकी से लिया संन्यास, बनारस के लिए कुछ करने की इच्छा जताई

Varanasi: ओलंपिक पदक विजेता ललित उपाध्याय ने अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास लेने की घोषणा की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर जानकारी दी कि वे अब केवल घरेलू और लीग मुकाबले खेलेंगे। ललित ने कहा कि वह बनारस के लिए कुछ खास करना चाहते हैं।

By: Desk Team  RNI News Network
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Varanasi: ओलंपिक मेडलिस्ट ललित उपाध्याय ने अंतरराष्ट्रीय हॉकी से लिया संन्यास, बनारस के लिए कुछ करने की इच्छा जताई

वाराणसी के लाल और दो बार के ओलंपिक मेडलिस्ट ललित उपाध्याय ने अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है। अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित ललित उपाध्याय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक भावुक पोस्ट के जरिए यह जानकारी साझा की। उन्होंने लिखा कि वह अब अंतरराष्ट्रीय हॉकी नहीं खेलेंगे, हालांकि घरेलू और लीग मैचों में उनकी भागीदारी जारी रहेगी।

ललित उपाध्याय इस समय बेल्जियम में प्री-हॉकी लीग मैच खेल रहे हैं और वहीं से उन्होंने यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया। इस घोषणा के बाद उनके परिवार में भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ा। ललित की मां ने कहा कि यह खबर हमारे लिए थोड़ी तकलीफदायक जरूर है, लेकिन हम उनके हर फैसले में साथ हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें ललित के संन्यास की जानकारी समाचार पत्रों और सोशल मीडिया से मिली, लेकिन ललित ने फोन पर कहा कि वह बनारस के लिए कुछ करना चाहते हैं, जिससे हमें गर्व भी हुआ।

ललित उपाध्याय ने अपने संन्यास की घोषणा में उन तमाम कोचों और मार्गदर्शकों को धन्यवाद दिया जिनकी वजह से उनका हॉकी करियर ऊंचाइयों तक पहुंचा। उन्होंने परमानंद, हरिंदर सिंह, समीर दादराव और हॉकी दिग्गज धनराज पिल्लै का नाम लेते हुए कहा कि इनके योगदान के बिना यह सफर संभव नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने जो कुछ भी हासिल किया, वह अपने कोच, परिवार और देशवासियों के समर्थन से ही संभव हो पाया।

उनका करियर भारतीय हॉकी के स्वर्णिम दौर का हिस्सा रहा। ललित ने दो बार भारत के लिए ओलंपिक पदक जीता और देश का नाम रोशन किया। उन्होंने कई बड़े अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए शानदार प्रदर्शन किया। उनकी गिनती देश के बेहतरीन फॉरवर्ड खिलाड़ियों में होती रही है।

ललित उपाध्याय के संन्यास की खबर ने उनके प्रशंसकों और खेल प्रेमियों को भावुक कर दिया है। सोशल मीडिया पर उन्हें शुभकामनाएं देने वालों की बाढ़ सी आ गई है। कई लोगों ने उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि वे हमेशा भारतीय हॉकी के गौरव रहेंगे। अब सभी की नजर इस बात पर है कि ललित अपने शहर वाराणसी और देश के लिए हॉकी के क्षेत्र में आगे क्या नया योगदान देते हैं।

ललित उपाध्याय का यह फैसला भारतीय हॉकी में एक युग के अंत का संकेत है, लेकिन उम्मीद है कि वह अपने अनुभव और नेतृत्व के जरिए अगली पीढ़ी के खिलाड़ियों को प्रेरणा देने का कार्य जारी रखेंगे। उनकी बनारस के लिए कुछ करने की इच्छा यह भी दर्शाती है कि वह अब ग्रासरूट स्तर पर खेल को आगे बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभाना चाहते हैं।

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