कोडीन सिरप की अवैध तस्करी के मामले में लखनऊ में अंतरराष्ट्रीय गिरोह के पकड़े जाने के बाद आगरा में औषधि विभाग ने बड़ी कार्रवाई शुरू की है। जांच के दौरान ड्रग विभाग ने शहर की 26 मेडिकल फर्मों को नोटिस जारी करते हुए पिछले दो साल का पूरा रिकॉर्ड जमा करने को कहा है। इसमें खरीद-बिक्री, स्टॉक रजिस्टर, बिलिंग और ट्रांसपोर्ट सहित सभी दस्तावेज शामिल हैं।
सात जिलों के औषधि विभाग के अधिकारियों ने दो दिन तक कार्रवाई करते हुए 26 फर्मों और उनके गोदामों पर छापेमारी की। इस दौरान कई जगहों पर संदिग्ध दवाएं मिलीं। कमला नगर स्थित एक फर्म पर तो नकली एंटी एलर्जिक इंजेक्शन भी मिला, जिसकी पुष्टि विभागीय जांच में हुई है। इस कार्रवाई से मेडिकल कारोबार में व्यापक अनियमितताओं का खुलासा हुआ है।
राजस्थान में नकली पाए गए केनाकॉर्ट-40 एंटी एलर्जिक इंजेक्शन की जांच का सुराग आगरा से जुड़ता पाया गया। कमला नगर स्थित एलोसेफ फार्माकेयर से इस इंजेक्शन की बिक्री के बिल बरामद हुए। संचालक ने बिल में 108 इंजेक्शन दिखाए, लेकिन मौके पर केवल चार ही इंजेक्शन मिले। उन्होंने बताया कि यह इंजेक्शन उन्होंने जयश्री राम फार्मा (फव्वारा) से खरीदे थे, जिसकी अब अलग से जांच चल रही है।

एलोसेफ, एग्रोसेफ फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड की सहयोगी कंपनी है। इसी इलाके की ओक्विक लाइफ साइंसेज में भी एक संदिग्ध दवा मिली, हालांकि वहां नारकोटिक श्रेणी की कोई दवा नहीं पाई गई। फिर भी विभाग इन फर्मों की सप्लाई चेन, खरीद स्रोत और स्टॉक पैटर्न की गहन जांच कर रहा है।
सहायक आयुक्त अतुल उपाध्याय ने बताया कि जिन फर्मों से कोडीन युक्त सिरप, नकली इंजेक्शन या अन्य संदिग्ध दवाओं की खरीद-बिक्री के संकेत मिले हैं, उनसे पिछले दो वर्ष का पूरा रिकॉर्ड मांगा गया है।
नोटिस में स्पष्ट लिखा गया है कि सभी फर्में—
अपनी खरीद और बिक्री,
लेन-देन का पूरा विवरण,
स्टॉक रजिस्टर,
बिलिंग रिकॉर्ड,
तथा दवाओं के परिवहन से जुड़े दस्तावेज
जमा करें।
ड्रग विभाग का मानना है कि दस्तावेज जमा होने के बाद कई और अनियमितताओं का खुलासा हो सकता है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, यदि किसी फर्म की संदिग्ध गतिविधि प्रमाणित होती है तो लाइसेंस निलंबन से लेकर रद्दीकरण तक की कार्रवाई संभव है।