नोएडा के हिंडन और यमुना नदी के डूब क्षेत्रों में हो रहे अवैध निर्माण पर अब सख्त कार्रवाई होगी। इसके लिए एसडीएम (उपजिलाधिकारी) की अगुआई में एक विशेष टीम बनाई जाएगी जिसमें प्राधिकरण के वरिष्ठ प्रबंधक, सिंचाई विभाग और पुलिस विभाग के अधिकारी शामिल रहेंगे। यह टीम न सिर्फ अवैध निर्माण का सर्वे करेगी, बल्कि उन्हें तत्काल प्रभाव से ध्वस्त भी किया जाएगा।
प्राधिकरण द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में यह निर्णय लिया गया कि डूब क्षेत्र में हो रहे अवैध निर्माणों के चलते नदी प्रवाह बाधित होता है, जिससे बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है। इसलिए अब इन निर्माणों पर तत्काल रोक और जो निर्माण चालू हैं, उन्हें भी तुरंत रुकवाया जाएगा। इससे पहले भी हिंडन नदी में दो बार ऐसी कार्रवाई हो चुकी है।
बैठक के दौरान नोएडा प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम ने कहा कि यमुना और हिंडन डूब क्षेत्र का ड्रोन और एरियल सर्वे कराकर मौजूदा निर्माण की फुटेज ली जाए। यदि इसके बाद नए निर्माण पाए जाते हैं, तो प्राधिकरण, सिंचाई विभाग और लेखपालों पर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही चेतावनी दी गई कि संबंधित क्षेत्रों में बड़े-बड़े सूचना बोर्ड लगाए जाएं, जिससे आमजन को पता चल सके कि यह भूमि डूब क्षेत्र में आती है और यहां निर्माण अवैध है।
सिंचाई विभाग गाजियाबाद ने स्पष्ट किया है कि यदि डूब क्षेत्र में बाढ़ से कोई क्षति होती है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी अवैध निर्माण करने वाले व्यक्ति की होगी। प्रशासन की ओर से किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति या सहायता नहीं दी जाएगी। नागरिकों को तत्काल प्रभाव से अवैध निर्माण हटाने की एडवाइजरी जारी कर दी गई है।
डूब क्षेत्र में अनेक प्रकार के अवैध ढांचे बने हुए हैं, जैसे भवन, स्कूल, फार्महाउस, क्रशर प्लांट, रेडी मिक्स कंक्रीट प्लांट, होट मिक्स प्लांट आदि। बाढ़ के समय इन निर्माणों के नष्ट होने की संभावना अधिक है, और प्रशासनिक सुरक्षा संभव नहीं होगी।
साफ तौर पर कहा गया है कि 16 मार्च 2010 के शासनादेश और NGT के 20 मई 2013 के आदेश के अनुसार, डूब क्षेत्र में कोई भी निर्माण पूरी तरह प्रतिबंधित है। ऐसे निर्माण से होने वाली क्षति की प्रतिपूर्ति नहीं की जाएगी, बल्कि उसकी भरपाई संबंधित अवैध निर्माणकर्ता से वसूली जाएगी।
यमुना और हिंडन नदियों के डूब क्षेत्र में आने वाले प्रमुख गांवों में शामिल हैं: छजारसी, चोटपुर, यूसुफपुर, चकशाहबेरी, बहलोलपुर, गढीचीखंडी, हैबतपुर, परथला, सोरखा, जलपुरा, अलीवर्दीपुर, कुलेसरा, मोतीपुर, कोंडली खादर, गुलावली, छपरौली, शहदरा, सफीपुर, झट्टा, याकूतपुर, और अन्य नदियों के किनारे बसे गांव।
प्रशासन का स्पष्ट निर्देश है कि डूब क्षेत्र में कोई निर्माण न करें, और जहां किया गया है वहां से स्वेच्छा से हट जाएं, अन्यथा कानूनी कार्रवाई और ध्वस्तीकरण तय है। साथ ही यदि किसी प्रकार का नुकसान हुआ तो प्रशासन या सरकार जिम्मेदार नहीं होगी