नोएडा एक्सप्रेसवे के समानांतर यमुना पुश्ता रोड पर प्रस्तावित 30 किलोमीटर लंबे एलिवेटेड एक्सप्रेसवे का निर्माण फिलहाल अधर में लटक गया है। सिंचाई विभाग ने एनओसी देने से इंकार कर दिया है। विभाग का कहना है कि तटबंध के पास भारी निर्माण से ड्रेनेज चैनल व एम्बैंकमेंट प्रभावित हो सकते हैं, इसलिए अनुमति नहीं दी जा सकती।
इस बाधा के बावजूद नोएडा प्राधिकरण ने ट्रैफिक सिस्टम को बेहतर करने के लिए नया विकल्प तलाश लिया है। अब फोकस पूरी तरह से मुख्य एक्सप्रेसवे के समानांतर बनी 45 मीटर चौड़ी सेक्टर रोड को चालू करने पर है। इसे एक्सप्रेसवे का बैकअप कॉरिडोर विकसित किया जाएगा, जो आवश्यकता के समय ट्रैफिक का भार संभालेगा।
यह सेक्टर रोड एक्सप्रेसवे के दोनों ओर सर्विस लेन के बाद स्थित है और पहले से काफी हद तक निर्मित है। लेकिन तीन जगह- 74 मीटर, 75 मीटर, 81.5 मीटर के गैप के कारण यह सड़क एंड-टू-एंड उपयोग में नहीं आ पा रही। ये रुकावटें मुख्य रूप से सेक्टर 163 और 167 के बीच हैं। इन गैप को जोड़ने के लिए लगभग 2.5 एकड़ भूमि का अधिग्रहण आवश्यक है।
भूमि अधिग्रहण न होने के कारण सेक्टर 150, 151, 152, 153, 155, 163, 167, 135 और 168 के निवासी बैकअप रोड का उपयोग नहीं कर पाते, जिससे मजबूरी में एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक बढ़ता है। डीजीएम (सिविल) विजय रावल के अनुसार, “किसानों से बातचीत जारी है, जल्द भूमि लेने की प्रक्रिया पूरी कर यह रोड एक्सप्रेसवे का डायवर्जन मार्ग बन जाएगी।”
अधिकारियों का कहना है कि डीएनडी, चिल्ला, कालिंदी कुंज से आने वाले भारी ट्रैफिक और आने वाले नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से बढ़ने वाला अतिरिक्त वॉल्यूम एक्सप्रेसवे पर दबाव को कई गुना बढ़ा देगा। ऐसे में बैकअप कॉरिडोर का विकास अत्यंत जरूरी है। यह 45 मीटर सेक्टर रोड भविष्य में एक्सप्रेसवे की “लाइफ लाइन” के रूप में काम करेगी और जाम व दुर्घटना के जोखिम को कम करेगी।
प्राधिकरण फिलहाल सबसे पहले 45 मीटर रोड को सुचारु और लगातार चालू करने पर जोर दे रहा है। इसमें सड़क को मजबूत बनाना, गैप जोड़ना और ट्रैफिक डायवर्जन की व्यवस्था शामिल है। लंबे समय के लिए पैरेलल एलिवेटेड एक्सप्रेसवे का प्रस्ताव अभी भी विचाराधीन है, लेकिन इसका क्रियान्वयन राज्य और केंद्र सरकार की अंतिम मंजूरी पर निर्भर करेगा। तब तक यह सेक्टर रोड ही ट्रैफिक का मुख्य बैकअप रूट रहेगी।