नोएडा प्राधिकरण अब शहर में हो रहे अवैध निर्माण का डिजिटल डेटा बेस तैयार कर रहा है। इसके तहत दो तरह के रिकॉर्ड बनाए जा रहे हैं।
इन दोनों डेटा बेस को जल्द ही ऑनलाइन किया जाएगा, ताकि नोएडा निवासी सुरक्षित निवेश कर सकें और जमीन खरीद-फरोख्त में ठगी से बच सकें।
नोएडा में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण, सलारपुर में कई हाई-राइज़ भवन
नोएडा के विभिन्न सेक्टरों में वर्षों से बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण हो रहा है। अकेले सलारपुर क्षेत्र में कई हाई-राइज़ इमारतें बिना अनुमति बन चुकी हैं। प्राधिकरण बार-बार नोटिस जारी कर रहा है, फिर भी ऐसे फ्लैटों में निवेश जारी है, जबकि आगे चलकर इन पर कार्रवाई निश्चित है। इसी वजह से प्राधिकरण अब अवैध बिल्डिंगों का ऑनलाइन रिकॉर्ड जारी करेगा। इससे लोगों को पता चल सकेगा कि जिस संपत्ति में वे निवेश कर रहे हैं वह वैध है या नहीं।
2000 करोड़ से ज्यादा की जमीन कराई जा चुकी मुक्त
जनवरी 2024 से अब तक प्राधिकरण ने लगभग 23.23 लाख वर्गमीटर जमीन को अतिक्रमण और अवैध निर्माण से मुक्त कराया है। इस जमीन की कीमत लगभग ₹2171 करोड़ आंकी गई है।
यह पूरी जमीन मास्टर प्लान 2031 के अनुसार नियोजित है, जहां भविष्य की परियोजनाएं विकसित की जाएँगी। प्राधिकरण को अब तक अवैध निर्माण को लेकर 100 से अधिक शिकायतें मिली हैं, जिन पर पुलिस स्तर पर कार्रवाई चल रही है।
पुलिस कमिश्नर को भेजी जाएगी कार्रवाई की रिपोर्ट
अब प्राधिकरण द्वारा अवैध निर्माण पर की जाने वाली हर कार्रवाई की एक कॉपी पुलिस कमिश्नर (CP) को भी भेजी जाएगी। कई बार शिकायत के बाद विभागीय कार्रवाई में विलंब होता था, लेकिन अब अवैध निर्माण तोड़ने की सूचना, एफआईआर की प्रति और संबंधित दस्तावेज सीधे CP कार्यालय भेजे जाएंगे ताकि त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।
भू-माफियाओं के नाम भी होंगे सार्वजनिक
प्राधिकरण ने भू-माफियाओं के खिलाफ भी कड़ा रुख अपनाया है। जिन व्यक्तियों या समूहों को भू-माफिया घोषित करने की फाइल डीएम को भेजी जा चुकी है, उनसे संबंधित पत्राचार जारी है। जल्द ही भू-माफियाओं की पूरी सूची ऑनलाइन की जाएगी, ताकि आम नागरिक निवेश करने से पहले ऐसी संपत्तियों और व्यक्तियों के बारे में जानकारी देख सकें।
सुरक्षित रियल एस्टेट माहौल बनाने की दिशा में बड़ा कदम
नोएडा प्राधिकरण का यह कदम शहर में एक पारदर्शी, सुरक्षित और वैध रियल एस्टेट माहौल बनाने की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ऑनलाइन डेटा बेस उपलब्ध होने से न केवल निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा, बल्कि भू-माफिया, अवैध बिल्डरों और फर्जी प्लॉटिंग करने वालों पर भी लगाम कसने में मदद मिलेगी।