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MNREGA : मनरेगा में नई टेक्नोलॉजी: फेस स्कैनिंग से फर्जी हाजिरी पर रोक

Digital Governance : मनरेगा में लंबे समय से फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आती रही हैं। लेकिन अब टेक्नोलॉजी ने इस गड़बड़ी पर सख्त पहरा लगा दिया है। बाराबंकी में पायलट प्रोजेक्ट के तहत जॉब कार्ड धारकों की फेस स्कैनिंग और ई-केवाईसी शुरू की गई है। इसका मकसद पारदर्शिता बढ़ाना और मजदूरों को उनका असली हक़ दिलाना है।

By: Desk Team  RNI News Network
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MNREGA : मनरेगा में नई टेक्नोलॉजी: फेस स्कैनिंग से फर्जी हाजिरी पर रोक

MNREGA : मनरेगा में लंबे समय से फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आती रही हैं। लेकिन अब टेक्नोलॉजी ने इस गड़बड़ी पर सख्त पहरा लगा दिया है। बाराबंकी में पायलट प्रोजेक्ट के तहत जॉब कार्ड धारकों की फेस स्कैनिंग और ई-केवाईसी शुरू की गई है। इसका मकसद पारदर्शिता बढ़ाना और मजदूरों को उनका असली हक़ दिलाना है।

बाराबंकी जिले में मनरेगा के कामकाज में सुधार के लिए फेस स्कैनिंग सिस्टम लागू किया गया है। यह पायलट प्रोजेक्ट केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है, जिसके तहत श्रमिकों की हाजिरी अब सीधे चेहरे की पहचान के जरिए ली जा रही है। बाराबंकी में करीब दो लाख 69 हज़ार 604 जॉब कार्ड धारक हैं, जिनमें से लगभग 50 प्रतिशत श्रमिकों की ई-केवाईसी और फेस स्कैनिंग प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। शेष मजदूरों का काम तेजी से जारी है। यह पहल इसलिए भी अहम है क्योंकि पहले फर्जी नाम से जॉब कार्ड बनाकर लाखों रुपये की मजदूरी हड़पने के मामले सामने आते रहे हैं।

यह तकनीक एनएमएमएस ऐप से जुड़ी है, जो मौके पर मौजूद श्रमिक के चेहरे को पहचान कर उसकी उपस्थिति दर्ज करेगी। इससे अब यह सुनिश्चित होगा कि मजदूरी उन्हीं लोगों को मिले जो वाकई काम कर रहे हैं। इससे न केवल फर्जी हाजिरी का खेल खत्म होगा बल्कि मनरेगा की पारदर्शिता और विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।फेस स्कैनिंग व्यवस्था से मनरेगा श्रमिक भी खुश हैं। उनका कहना है कि अब मजदूरी मिलने में किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी और उनका मेहनताना सही समय पर मिलेगा।

फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए सरकार का यह कदम बेहद अहम माना जा रहा है। फेस स्कैनिंग जैसी आधुनिक तकनीक से अब मनरेगा की पारदर्शिता और विश्वसनीयता दोनों बढ़ेंगी। बाराबंकी जैसे जिलों में इस पायलट प्रोजेक्ट की सफलता आने वाले समय में पूरे प्रदेश के लिए मिसाल बन सकती है। सरकार का लक्ष्य साफ है हर श्रमिक को उसका हक, और हर काम में पारदर्शिता। यानी टेक्नोलॉजी के सहारे अब मनरेगा में ईमानदारी की नई इबारत लिखी जा रही है।
बाराबंकी में शुरू हुआ ये पायलट प्रोजेक्ट यह दिखाता है कि अब सरकार तकनीक के ज़रिए योजनाओं को ज़मीनी हकीकत से जोड़ रही है। मनरेगा में फेस स्कैनिंग व्यवस्था न केवल फर्जीवाड़े पर लगाम लगाएगी बल्कि असली मजदूरों को उनका हक भी दिलाएगी। अब देखना होगा कि यह मॉडल प्रदेश के बाकी जिलों में कब तक लागू होता है और किस तरह से पारदर्शिता की यह पहल पूरे सिस्टम में बदलाव लाती है।

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