नोएडा के गेझा तिलपताबाद, भूड़ा समेत तीन गांवों के किसानों को अतिरिक्त मुआवजा देने में हुई कथित गड़बड़ी की जांच अब विशेष जांच दल (एसआईटी) करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की एसआईटी की जांच रिपोर्ट से असंतोष जताते हुए नई एसआईटी गठित करने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की एसआईटी का गठन किया। इसमें अतिरिक्त डीजीपी एसबी शिराडकर, सीबीसीआईडी के आईजी मोदक राजेश डी. राव और डीआईजी हेमंत कुटियाल शामिल हैं। कोर्ट ने निर्देश दिया कि एसआईटी दो महीने के भीतर जांच पूरी कर सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
सरकारी SIT पर सुप्रीम कोर्ट का असंतोष
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित एसआईटी की जांच पर असंतोष जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नई एसआईटी के गठन का निर्णय लिया। अदालत ने कहा कि यह मामला गंभीर है और जांच निष्पक्ष व व्यापक होनी चाहिए।
भ्रष्टाचार और अतिरिक्त मुआवजा मामले की जांच
मामला उन भूस्वामियों से जुड़ा है, जिन्हें कथित तौर पर उनकी अधिगृहीत जमीन के बदले अनधिकृत रूप से बड़ी रकम दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसआईटी इस मामले में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों की पहचान करेगी और अन्य संभावित मुद्दों की भी जांच करेगी।
फिलहाल दंडात्मक कार्रवाई पर रोक
अदालत ने स्पष्ट किया कि जांच पूरी होने तक अतिरिक्त मुआवजा पाने वाले किसानों और लाभार्थियों पर बिना अनुमति कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
पहली एसआईटी ने उजागर की थी 117 करोड़ की गड़बड़ी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2023 में उत्तर प्रदेश सरकार ने बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के चेयरमैन हेमंत राव की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया था। इस जांच में गेझा तिलपताबाद और भूड़ा गांव के 20 मामलों में 117 करोड़ 56 लाख रुपए की गड़बड़ी का खुलासा हुआ था। यह गड़बड़ी 2009 से 2023 के बीच हुई थी।
निष्पक्ष जांच की ओर कदम
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित नई एसआईटी से इस घोटाले की गहन और निष्पक्ष जांच की उम्मीद की जा रही है। जांच से भ्रष्टाचार के दोषियों की पहचान कर कार्रवाई की जाएगी। यह कदम मुआवजा वितरण प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।