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Lucknow : विश्वविद्यालयों में डिजिटल पुस्तकालय सेवा की नई क्रांति, 38 MOU साइन!

लखनऊ : प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विष्वविद्यालयों की कुलाधिपति , कुलाध्यक्ष आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश के समस्त राज्य विश्वविद्यालयों/संस्थानों में सूचना एवं पुस्तकालय नेटवर्क केन्द्र की सेवाओं के क्रियान्वयन हेतु 38 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए।

By: Desk Team  RNI News Network
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Lucknow : विश्वविद्यालयों में डिजिटल पुस्तकालय सेवा की नई क्रांति, 38 MOU साइन!

लखनऊ में किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें राज्य के समस्त विश्वविद्यालयों – संस्थानों में सूचना एवं पुस्तकालय नेटवर्क केन्द्र की सेवाएं लागू करने हेतु 38 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। इस पहल का उद्देश्य विश्वविद्यालयों में पुस्तकालयों और शोध संसाधनों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाना है, जिससे विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं को गुणवत्ता युक्त जानकारी सुलभ हो सके।

 

 

कार्यक्रम में राज्यपाल को तीन विश्व रिकॉर्ड—सामूहिक सूर्य नमस्कार (14 लाख से अधिक प्रतिभागी), सामूहिक पुस्तक पठन (15.7 लाख प्रतिभागी) और सामूहिक शपथ (दहेज व नशा मुक्ति, 16 लाख प्रतिभागी)—के लिए सम्मानित भी किया गया। इन उपलब्धियों ने प्रदेश को वैश्विक स्तर पर गौरवान्वित किया है।

 

राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों को समाजोपयोगी और व्यवहारिक शोध को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल दिया, खासकर किसानों, महिलाओं, बच्चों, स्वास्थ्य और रक्षा से जुड़े क्षेत्रों में। उन्होंने गुजरात के राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय का उदाहरण देते हुए रक्षा अनुसंधान की अहमियत पर भी प्रकाश डाला। तकनीकी और शोध संस्थानों को पेटेंट व नवाचार में गंभीरता से कार्य करने की सलाह दी गई।

कार्यक्रम के दौरान ‘Dashboard @ University of Uttar Pradesh’ का शुभारंभ किया गया। अपर मुख्य सचिव डॉ. सुधीर महादेव बोबडे ने राज्यपाल की प्रेरणा से हुए इस कार्यक्रम को शोध एवं नवाचार के क्षेत्र में मील का पत्थर बताया। सूचना एवं पुस्तकालय नेटवर्क केन्द्र की निदेशक प्रो. देविका पी. मादल्ली और प्रो. अभिषेक कुमार ने प्रेजेंटेशन देकर बताया कि यह प्रणाली विश्वविद्यालयों को शोध प्रकाशन और प्रबंधन में वैश्विक पहचान दिलाने में सहायक होगी।

इस अवसर पर राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति, पुस्तकालयाध्यक्ष, शोध निदेशक और विद्यार्थी उपस्थित रहे, जिन्होंने प्रश्नोत्तर सत्र में भाग लेकर तकनीकी और शोध से जुड़े प्रश्नों पर समाधान प्राप्त किया।

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