उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में ग्रेटर आगरा, ग्वालियर ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे और अलीगढ़ एक्सप्रेसवे जैसी आधा दर्जन से अधिक बड़ी परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण प्रस्तावित है। लेकिन इन परियोजनाओं के कारण सर्किल रेट का निर्धारण अटका हुआ है, जिससे किसानों को उचित मुआवजा नहीं मिल पा रहा और वे खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
आखिरी बार जिले में 2017 में सर्किल रेट तय किए गए थे। तब से लेकर अब तक पांच बार बैठकें, सर्वे और फॉर्मैलिटी पूरी हो चुकी हैं, मगर वास्तविक निर्धारण नहीं हुआ। इस वजह से जमीन अधिग्रहण में पुराने सर्किल रेट के आधार पर ही मुआवजा दिया जा रहा है, जिससे किसानों को बाजार भाव का सिर्फ एक छोटा हिस्सा ही मिल रहा है।
जैसे-जैसे बड़ी परियोजनाओं की घोषणा हुई है, जमीन के बाजार भाव आसमान छूने लगे हैं। किसान राजवीर सिंह कहते हैं, “सरकार हमारी जमीन कौड़ियों के दाम पर लेना चाहती है। सर्किल रेट न बढ़ाना जानबूझकर किया गया अन्याय है।”
आगरा के उलट मथुरा, फिरोजाबाद और मैनपुरी जैसे जिलों में 2021 और 2023 में नए सर्किल रेट निर्धारित हो चुके हैं। मंडलायुक्त रितु माहेश्वरी ने पिछले साल ही आदेश दिए थे, मगर आगरा का मामला फाइलों में दबा हुआ है।
शहर की लाइफलाइन कहे जाने वाली एमजी रोड पर जहां सरकारी सर्किल रेट 1.25 लाख रुपये/वर्ग गज है, वहीं वास्तविक बाजार मूल्य 5 लाख रुपये तक पहुंच चुका है। दूसरी तरफ फतेहाबाद रोड पर भी जमीन 2–3 लाख रुपये/वर्ग गज तक बिक रही है।
सर्किल रेट न बढ़ने से स्टांप ड्यूटी से मिलने वाले राजस्व में भी कमी आ रही है। 2025-26 के लिए सरकार ने 1400 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है, जो वर्तमान व्यवस्था में अधूरा ही रह सकता है।
जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी के अनुसार, “जिले में भूमि अधिग्रहण प्रस्तावित है। नए सर्किल रेट के लिए सर्वे कराया गया है। शासन के निर्देश मिलते ही रेट निर्धारित किए जाएंगे।”
किसानों को उम्मीद है कि सरकार जल्द से जल्द सर्किल रेट का निर्धारण करके उन्हें उचित मुआवजा देगी। वरना भूमि अधिग्रहण और परियोजनाओं के क्रियान्वयन में देरी तय है। जब तक किसानों को न्याय नहीं मिलेगा, विकास की रफ्तार भी अधूरी ही रहेगा।