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Varanasi : जिला अस्पताल की लापरवाही, मां और बच्चे की जान पर बन आई

Varanasi : वाराणसी के जिला महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की बड़ी लापरवाही सामने आई, जहाँ गर्भस्थ शिशु को मृत बता दिया गया। निजी जांच में बच्चा स्वस्थ पाया गया, जिससे अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठे। दोषी चिकित्सक ने गलती मानी, लेकिन जिम्मेदारी और सख्त कार्रवाई पर चुप्पी बरकरार है।

By: Desk Team  RNI News Network
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Varanasi : जिला अस्पताल की लापरवाही, मां और बच्चे की जान पर बन आई

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ और बेहतर बनाने के प्रयासों में लगे हुए हैं। लेकिन स्वास्थ्य विभाग में कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिनकी लापरवाही इन प्रयासों पर पानी फेर देती है। ताजा मामला वाराणसी के राजकीय जिला महिला अस्पताल का है, जहाँ एक गर्भवती महिला के अल्ट्रासाउंड में गंभीर त्रुटि सामने आई। इस गलती के कारण एक मां अपने होने वाले बच्चे से हमेशा के लिए जुदा हो सकती थी।

दरअसल, महिला के अल्ट्रासाउंड में अस्पताल के चिकित्सक डॉ. अजय कुमार ने रिपोर्ट में गर्भस्थ शिशु को मृत घोषित कर दिया। लेकिन महिला ने अस्पताल की रिपोर्ट पर पूरी तरह भरोसा न करते हुए बाहर एक निजी डायग्नोस्टिक सेंटर से जांच करवाई। वहाँ की रिपोर्ट में गर्भस्थ शिशु पूरी तरह से स्वस्थ निकला। इस सच्चाई के सामने आने के बाद महिला और उसका परिवार गहरे आक्रोश में है।

इस मामले पर जब अस्पताल की प्रभारी डॉ. नीना वर्मा से बात की गई तो उन्होंने स्वीकार किया कि डॉ. अजय से गंभीर लापरवाही हुई है। उनका कहना था कि यदि अल्ट्रासाउंड के दौरान शिशु की धड़कन सुनाई नहीं दी, तो चिकित्सक को दोबारा जांच करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि इस गलती को लेकर डॉ. अजय को फटकार भी लगाई गई है। हालांकि, उनका यह कहना कि चिकित्सक ने “सिर्फ किताब को कोट किया”, अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े करता है।

वहीं, डॉ. अजय कुमार ने अपनी सफाई में कहा कि अस्पताल की अल्ट्रासाउंड मशीन अत्याधुनिक नहीं है और इसी कारण समस्या उत्पन्न हुई। उन्होंने अपनी गलती स्वीकार तो की, लेकिन उनके चेहरे पर किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी का भाव या खेद नजर नहीं आया।

इस घटना पर पीड़ित महिला ने खुद एक वीडियो वायरल कर अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना है कि यदि उन्होंने अस्पताल की रिपोर्ट पर विश्वास कर लिया होता, तो उनका अजन्मा बच्चा आज जीवित न होता। निजी जांच में जब बच्चा स्वस्थ पाया गया तो परिवार ने राहत की सांस ली।

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