नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया है कि यमुना नदी के डूब क्षेत्र को लेकर हर 200 मीटर पर जमीन पर चिन्ह यानी ‘मुड्डियां’ लगाई जाएं। यह आदेश असगरपुर (आगरा) से लेकर प्रयागराज तक की 1,056 किलोमीटर लंबी यमुना नदी के दोनों किनारों पर लागू होगा। इसका उद्देश्य है कि आम नागरिक यह स्पष्ट रूप से जान सकें कि कौन सा इलाका डूब क्षेत्र में आता है और वहां निर्माण अथवा अन्य गतिविधियां प्रतिबंधित हैं।
एनजीटी ने स्पष्ट किया कि केवल जिओ कोऑर्डिनेट की जानकारी से लोगों को डूब क्षेत्र की जानकारी नहीं मिल रही है। इसलिए अब हर 200 मीटर की दूरी पर प्रत्यक्ष रूप से पहचान योग्य मुड्डियां लगाने के आदेश दिए गए हैं। यह निर्देश उस याचिका पर दिया गया है जो ताज नगरी आगरा के पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता ने दाखिल की थी।
केंद्रीय जल आयोग ने एनजीटी के निर्देश पर एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें बताया गया है कि यमुना नदी का डूब क्षेत्र पिछले 100 वर्षों की बाढ़ की घटनाओं के आंकड़ों के आधार पर तय किया गया है। यह सीमांकन असगरपुर से प्रयागराज तक 17 जिलों में फैला हुआ है। आयोग ने यमुना और उसके डूब क्षेत्र का नक्शा भी संबंधित जिलों को सौंपा है।
एनजीटी ने अपने निर्देश में स्पष्ट कहा कि डूब क्षेत्र में सिर्फ कागजी सीमांकन से काम नहीं चलेगा। नदी के दोनों किनारों पर स्पष्ट सीमांकन होना चाहिए जिससे न केवल अवैध निर्माण पर रोक लगे, बल्कि बाढ़ के समय जान-माल की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सके।