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Prayagraj : शिक्षा के मंदिर में नहीं मिल रहा मिड डे मील,अधिकारियों की लापरवाही उजागर

Prayagraj : प्रयागराज के जसरा अतरसुइया जूनियर माध्यमिक विद्यालय की इमारत जर्जर हालत में है और बच्चों को मिड डे मील तक नहीं मिल रहा है।प्रधानाचार्य ने ग्राम प्रधान और अधिकारियों पर लापरवाही व जिम्मेदारी न निभाने के गंभीर आरोप लगाए हैं।बिजली, शौचालय और भोजन की समस्या से जूझ रहे बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित हो रहे हैं।

By: Desk Team  RNI News Network
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Prayagraj : शिक्षा के मंदिर में नहीं मिल रहा मिड डे मील,अधिकारियों की लापरवाही उजागर

प्रयागराज के जसरा अतरसुइया जूनियर माध्यमिक विद्यालय की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि इसे शिक्षा का मंदिर नहीं बल्कि खंडहर कहना उचित होगा। विद्यालय का भवन पूरी तरह से क्षतिग्रTस्त हो चुका है और बाउंड्री वॉल भी गिर चुकी है। प्रधानाचार्य वीरेंद्र कुमार पटेल का कहना है कि कई बार संबंधित अधिकारियों को लिखित रूप से सूचित किया गया, लेकिन आज तक कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा।

प्रधानाचार्य ने ग्राम प्रधान पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि चार महीने से मिड डे मील के संयुक्त खाते में प्रधान सिग्नेचर नहीं कर रहे हैं, जिसकी वजह से बच्चों को नियमित भोजन नहीं मिल पा रहा है। पिछले दो दिनों से विद्यालय में मिड डे मील नहीं बना है और बच्चों से कहा जा रहा है कि वे अपना टिफिन घर से लेकर आएं। रसोईया ने भी स्वीकार किया कि खाते में अटकी प्रक्रिया के चलते भोजन बनना बंद है।

इसके अलावा विद्यालय में बिजली की सुविधा भी नहीं है। प्रधानाचार्य ने बताया कि चार साल पहले बिजली कनेक्शन के लिए पैसा जमा किया गया था, लेकिन आज तक कनेक्शन नहीं हुआ। शौचालय की हालत भी बदतर है, दिव्यांग शौचालय बिना सीट और अधूरी स्थिति में पड़ा हुआ है। इतना ही नहीं, प्रधानाचार्य ने सचिव रामलाल यादव पर गाली-गलौज और काम न कराने की धमकी देने का आरोप लगाया है।

विद्यालय के शिक्षक और बच्चे भी परेशान हैं। बच्चों ने शिकायत की कि उन्हें दो दिन से भोजन नहीं मिला। वहीं अध्यापिका ने साफ कहा कि वे अपना टिफिन घर से लाएं। यह हाल तब है जब सरकार शिक्षा सुधार और मिड डे मील योजना को लेकर बड़े दावे करती है।

जब इस मामले पर खंड शिक्षा अधिकारी अखिलेश वर्मा से पूछा गया तो उन्होंने जानकारी न होने की बात कही। वहीं खंड विकास अधिकारी सुनील कुमार ने भी इस जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। सवाल यह है कि जब अधिकारी ही जिम्मेदारी नहीं लेंगे तो मासूम बच्चों के भविष्य और उनकी बुनियादी जरूरतों का ध्यान कौन रखेगा?

यह स्थिति न केवल शासन-प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि शिक्षा का अधिकार और मिड डे मील जैसी योजनाएं जमीनी स्तर पर कितनी बदहाल स्थिति में हैं। जरूरत है कि जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो और बच्चों को उनका हक तुरंत दिलाया जाए।

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