लखनऊ नगर निगम की महापौर सुषमा खर्कवाल की अध्यक्षता को समिति कक्ष में संपत्ति विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में महापौर महोदया ने नगर निगम की कुल 212 ग्रामों की भूमि, उसके प्रकार (उसर, बंजर, परती, चारागाह, तालाब आदि) तथा ग्रामवार विवरण की मांग की। उन्होंने रिक्त कराई गई भूमि की वर्तमान स्थिति पर भी सवाल उठाए कि क्या वे स्थल आज भी खाली हैं या दोबारा कब्जा कर लिया गया है।
महापौर ने संपत्ति विभाग से यह स्पष्ट विवरण मांगा कि अब तक कितने स्थानों पर तारबाड़ और सूचना बोर्ड लगाए गए हैं और उनके फोटो प्रस्तुत किए जाएं। साथ ही, सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, राजस्व परिषद, दीवानी न्यायालय और पीपी एक्ट के अंतर्गत लंबित रिट व मुकदमों की संख्या और स्थिति की विस्तृत रिपोर्ट तलब की गई।
इसके अलावा, महापौर ने लेखपालों और राजस्व निरीक्षकों की कार्य डायरी, शिकायतों के निस्तारण की स्थिति, तथा मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक एवं समाधान दिवस में प्राप्त जन शिकायतों की समीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
तालाबों, चारागाहों की सुरक्षा, मनोरथ गौशाला विवाद की स्थिति और भू-माफिया से साठगांठ के मामलों को लेकर भी महापौर ने अधिकारियों को घेरा। उन्होंने पूछा कि संबंधित जमीनों की रक्षा हेतु अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।
महापौर ने यह भी स्पष्ट किया कि पूर्व में नगर निगम एनओसी देकर करोड़ों की आय करता था, लेकिन संपत्ति विभाग की निष्क्रियता के कारण अब यह अधिकार लखनऊ विकास प्राधिकरण के पास चला गया है, जिससे निगम को प्रतिवर्ष आर्थिक नुकसान हो रहा है। उन्होंने इस पर तुरंत ठोस कार्यवाही करने के निर्देश दिए।
बैठक के अंत में महापौर ने चेतावनी दी कि यदि विभागीय लापरवाही, भ्रष्टाचार और भूमाफियाओं से सांठगांठ की शिकायतें फिर सामने आईं, तो जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।नगर आयुक्त गौरव कुमार, अपर नगर आयुक्त (संपत्ति) नम्रता सिंह, संपत्ति विभाग प्रभारी सहायक नगर आयुक्त रामेश्वर प्रसाद सहित विभाग के समस्त तहसीलदार, नायब तहसीलदार, लेखपाल, कानूनगो एवं अन्य अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।