उत्तर प्रदेश में मक्का को ‘फसलों की रानी’ कहा जाता है। पोषण से भरपूर, उद्योगों में उपयोगी और तीनों सीजन में उगाई जाने वाली यह फसल अब किसानों की पहली पसंद बन रही है। मक्का का इस्तेमाल इथेनॉल उत्पादन, पशु और पोल्ट्री आहार, पेपर व दवा उद्योग तक में होता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2027 तक मक्का का उत्पादन 14.67 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 27.30 लाख मीट्रिक टन करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए सरकार न केवल किसानों को जागरूक कर रही है, बल्कि एमएसपी के तहत फसल खरीदने का भी प्रबंध कर रही है।
खरीफ के लिए मक्का की बुवाई का समय 15 जून से 15 जुलाई तक होता है। जहां सिंचाई की सुविधा हो वहां मई में भी बोआई संभव है। इस फसल के लिए जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
पॉल्ट्री उद्योग, इथेनॉल और एल्कोहल इंडस्ट्री में मक्का की मांग लगातार बढ़ रही है। इसके चलते बाजार में इसकी कीमत स्थिर बनी रहती है। सरकार ने इसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में शामिल कर किसानों को राहत दी है।
वर्तमान में यूपी में मक्का की औसत उपज 21.63 क्विंटल/हेक्टेयर है, जबकि उन्नत तकनीक से यह 50-60 क्विंटल तक बढ़ाई जा सकती है। इसके लिए लाइन से लाइन दूरी 60 सेमी और पौधों की दूरी 20 सेमी रखना लाभकारी माना गया है।
मक्का की खेती किसानों के लिए कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल साबित हो रही है। योगी सरकार की पहल, MSP की सुविधा और बढ़ती मांग के चलते इसका भविष्य उज्ज्वल है। अगर आप भी खेती में बदलाव चाहते हैं तो मक्का एक शानदार विकल्प हो सकता है।