1. हिन्दी समाचार
  2. उत्तर प्रदेश
  3. Loksabha Election 2024: बुलंदशहर(SC) संसदीय सीट के बारे में आइए जानते हैं?

Loksabha Election 2024: बुलंदशहर(SC) संसदीय सीट के बारे में आइए जानते हैं?

बुलंदशहर का इतिहास 1200 ईसा पूर्व से बहुत पहले ही हो जाता है यह क्षेत्र पांडवों के इंद्रप्रस्थ और हस्तीनापुर की राजधानी पास बसा हुआ है। बुलंदशहर उत्तर पूर्व में स्थित है जो की हस्तिनापुर में आहार के पतन के पांडवों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान बना। समय के साथ-साथ राजा पर्मा ने क्षेत्र के इस भाग पर एक किले का निर्माण करवाया और अहिबरन नाम के एक राजा ने बरन (बुलंदशहर) नामक एक ऊँचे टावर की नींव रखी।

By: Desk Team  RNI News Network
Updated:
gnews
Loksabha Election 2024: बुलंदशहर(SC) संसदीय सीट के बारे में आइए जानते हैं?

बुलंदशहर का इतिहास 1200 ईसा पूर्व से बहुत पहले ही हो जाता है यह क्षेत्र पांडवों के इंद्रप्रस्थ और हस्तीनापुर की राजधानी पास बसा हुआ है। बुलंदशहर उत्तर पूर्व में स्थित है जो की हस्तिनापुर में आहार के पतन के पांडवों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान बना। समय के साथ-साथ राजा पर्मा ने क्षेत्र के इस भाग पर एक किले का निर्माण करवाया और अहिबरन नाम के एक राजा ने बरन (बुलंदशहर) नामक एक ऊँचे टावर की नींव रखी। चूंकि यह किला एक बड़े क्षेत्रफल पर फैला हुआ था, इसलिए इसे उच्चता के रूप में भी पहचाना जाने लगा।

बुलंदशहर जनपद का खुर्जा नगर विख्यात है ऐसे में पॉटरी नगर के नाम से राष्ट्रीय ख्याति भी इसे प्राप्त है। यहाँ 5 संस्कृत महाविद्यालय एवं चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के अनेक महाविद्यालय बने हैं जिससे स्थानीय विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा मिल रही है। इस जिले के विकास के लिए सात उप डिवीजनों डिबाई, अनूपशहर, खुर्जा, शिकारपुर, सियाना, बुलंदशहर और सिकंदराबाद में विभाजित किया कर दिया गया है।

ऐसे में वहां सोलह विकास ब्लॉक बुलंदशहर, गुलॉथी, लकवाती, शिकारपुर, खुर्जा, पहसु, अरनिया, सिकंदराबाद, अनूपशहर, दिबाई , दानपुर, सियाना, बीबीएनगर, जहगीराबाद, उचा गाव और अगौता ब्लॉक आते हैं।

बुलंदशहर(SC) का संसदीय इतिहास

अगर इस सीट के इतिहास की बात करें, तो शुरुआत में 1952 से 1977 तक इस क्षेत्र में कांग्रेस का बोलबाला था। उसके बाद सन् 1977 से 80 तक यह सीट लोकदल के कमान में रही। इसके बाद सन् 1980 से 1984 तक यहां जनता पार्टी का स्वामित्व रहा। हालांकि, 1984-89 तक दोबारा यहां कांग्रेस पार्टी सीट जीतने में कामयाब रही थी। इसके बाद सन् 1989-91 तक इस सीट पर जनता दल ने फिर से चुनाव में बाजी मारी। उसके बाद सन् 1991-2009 तक बुलंदशहर(SC) से लगातार भाजपा ने मैदान में बाजी मारी। इसके बाद 2009 से 2014 में यह सीट सपा के हाथ में रही थी और साल 2014 का चुनाव जीतकर भाजपा ने इस सीट पर अपने वजीर बनाए।

2014 में यहां क्या रहा लोकसभा संसदीय सीट का परिणाम

2014 के आम चुनाव में उत्तर प्रदेश में मोदी लहर का जादू चला था। बुलंदशहर संसदीय सीट पर भी भाजपा के भोला सिंह को प्रचंड जीत मिली थी। आपको बता दें कि 2014 के चुनाव में भोला सिंह को 60 प्रतिशत वोट मिले थे, जो कि कुल पड़े 10 लाख वोटों में से करीब 6 लाख वोट थे। बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी प्रदीप कुमार जाटव को इस सीटस पर 1 लाख 82 हजार वोट मिले थे और दूसरे नंबर पर रहे थे।

2019 में इस संसदीय सीट का क्या रहा परिणाम

2019 के चुनावी समर में इस सीट से 13 उम्मीदवार मैदान में थे। पर यहां मुख्य मुकाबला भाजपा के तत्कालीन सांसद भोला सिंह, कांग्रेस के बंशी सिंह और बसपा के योगेश वर्मा के बीच हुआ। वहीं 4 निर्दलीय प्रत्याशियों के अलावा चुनावी मैदान में 6 अन्य छोटे दलों के उम्मीदवार भी अपनी किस्मत आज़मा रहे थे। लेकिन जब परिणाम आया तो यह सीट से भाजपा के भोला सिंह के झोले में गई। उन्हें इस सीट पर 6,81,321 वोट मिले थे। तो वहीं बीएसपी के योगेश वर्मा 3,91,264 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर और कांग्रेस के बंशी सिंह 29,465 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।

2024 में इस सीट से कौन-कौन हैं उम्मीदवार

  • भाजपा प्लस प्रत्याशी की ओर से डॉ भोला सिंह को उम्मीदवार बनाया है।
  • सपा ने इस सीट से शिवराम वाल्‍मीकि को प्रत्याशी बनाया है।
  • बसपा ने इस सीट से गिरीश चंद्र जाटव को मैदान में उतारा है।

भोला सिंह के बारे में

डॉ. भोला सिंह (जन्म 10 सितंबर 1977) शिकारपुर, बुलन्दशहर जिले से आते हैं और भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो भारतीय जनता पार्टी से 2019 में सांसद रहे हैं । वह यास्किन इन्फोटेक और यास्किन एंटरप्राइजेज के निदेशक भी रहे हैं। फिर उन्होंने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदवार के रूप में बुलंदशहर (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। भोला सिंह ने चौधरी चरण सिंह (सीसीएस) विश्वविद्यालय, मेरठ से स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी।

जातीय समीकरण

बुलंदशहर में जातीय समीकरण की बात करें तो यहां बड़ी आबादी हिंदू समुदाय की है। वहीं 2011 की जनगणना के तहत, यहां करीब 64 प्रतिशत जनसंख्या हिंदू और करीब 35 फीसदी जनसंख्या मुस्लिम समुदाय की है। यानी कहा जाए तो मुख्य रूप से हिंदू (दलित आबादी को मिलाकर) और मुस्लिम आबादी ही यहां अपनी मुख्य भूमिका निभाती है। हिंदुओं में दलित, लोध राजपूत, ब्राह्मण, ठाकुर, जाट के साथ अन्य समाज के लोग 10 से 15 प्रतिशत हैं तो वहीं यादव, सिख, कायस्थ, जैन आदि की संख्या यहां कम है।

इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें गूगल न्यूज़, फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...