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Loksabha Election 2024: ताले बनाने के लिए प्रसिद्ध अलीगढ़ संसदीय सीट के बारे में आइए जानते हैं?

अलीगढ़ का प्राचीन नाम कोइल (Koil) या कोल (Kol) था, जो कि वर्तमान में भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक नगर है। यह अलीगढ़ ज़िले और ज़िले में स्थित कोइल तहसील का मुख्यालय भी है। अलीगढ़ संसदीय क्षेत्र दिल्ली से 130 किमी दक्षिणपूर्व और लखनऊ से 342 किलोमीटर पश्चिमोत्तर में बसा हुआ है।

By: Desk Team  RNI News Network
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Loksabha Election 2024: ताले बनाने के लिए प्रसिद्ध अलीगढ़ संसदीय सीट के बारे में आइए जानते हैं?

अलीगढ़ का प्राचीन नाम कोइल (Koil) या कोल (Kol) था, जो कि वर्तमान में भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक नगर है। यह अलीगढ़ ज़िले और ज़िले में स्थित कोइल तहसील का मुख्यालय भी है। अलीगढ़ संसदीय क्षेत्र दिल्ली से 130 किमी दक्षिणपूर्व और लखनऊ से 342 किलोमीटर पश्चिमोत्तर में बसा हुआ है। यह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के साथ-साथ यहां पारंपरिक रूप से बनने वाले तालों के लिए संसार में जाना जाता है। ये जनपद खैर, अतरौली, गभाना, इगलास और कोल तहसीलों में विभाजित है।

अलीगढ़ सीट का संसदीय इतिहास

इस क्षेत्र पर 1952 से 1962 तक कांग्रेस का वर्चस्व रहा था। इसके बाद यहां जनता दल, RPI, BSP जैसी कुछ अन्य पार्टियां भी इस सीट पर जीत का स्वाद चख चुकी हैं। भाजपा ने इस सीट पर 1991 से 2004 तक प्रभुत्व बनाए रखा था और सन् 2014 में हुए आम चुनाव में भी भाजपा ने बीएसपी को हराकर इस सीट पर अपना राजतिलक किया। जिसमें भाजपा नेता सतीश कुमार ने यह सीट हासिल की थी। उन्हें इस सीट पर 5,14,622 वोट मिले थे। बीएसपी के उम्मीदवार अरविंद कुमार को इस सीट पर 2,27,886 वोटों मिले थे और वे दूसरे नंबर पर रहे थे। इस क्षेत्र के तहत विधानसभा की 5 सीटें आती हैं जो बरौली, खैर, अतरौली, अलीगढ़ व कोल हैं।

2014 में क्या रहा इस सीट का परिणाम

2014 के आम चुनाव में मोदी लहर के दम पर भाजपा के लिए सतीश गौतम ने बड़ी फतह हासिल की थी। उन्हें इस चुनाव में कुल 48 फीसदी वोट मिले थे, जबकि बहुजन समाज पार्टी के उनके प्रतिद्वंदी अरविंद कुमार सिंह को 21 फीसदी वोट मिले थे. यहां समाजवादी पार्टी तीसरे और कांग्रेस चौथे नंबर पर रही थी. 2014 में यहां कुल 59 फीसदी मतदान हुआ था।

2019 में क्या रहा इस सीट का परिणाम

2019 लोकसभा चुनाव में इस सीट से उम्मीदवार सतीश कुमार गौतम ने अपनी जीत कायम रखते हुए 6,56,215 वोटों से जीतकर बीएसपी के अजित बालियान को मात दिया था। अजित बालियान को 4,26,954 वोट प्राप्त हुए थे, तो वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी बिजेंदर सिंह को 50,880 वोट ही मिला था। बता दें कि 2019 में यहां कुल 61.44 फीसदी मतदान हुआ था।

2024 में इस सीट से कौन-कौन हैं उम्मीदवार

  • भाजपा प्लस गठबंधन की तरफ से सतीश गौतम को मैदान में उतारा है।
  • सपा प्लस गठबंधन की ओर से विजेंद्र सिंह को उतारा है।
  • बसपा पार्टी ने इस सीट से गुफरान नूर को इस सीट से प्रत्याशी के रूप में उतारा है।

सतीश कुमार गौतम के बारे में

सतीश कुमार गौतम, (जन्म 1 जुलाई 1972) एक भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं । उन्होंने उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से 2014 और 2019 का भारतीय आम चुनाव जीता और 2024 के आम-चुनाव में भी भाजपा ने उनपर पार्टी का भरोसा करते हुए तीसरी बार इस सीट से उम्मीदवार के रूप में उतारा है। इनका जन्म अलीगढ़ में दामोदर गौतम और राम देवी के परिवार में हुआ था। इन्होंने अपनी शिक्षा मैट्रिक स्तर तक पूरी की है और अपने राजनीति की शुरुआत वर्ष 2014 में हुए आम चुनाव के दौरान भाजपा से टिकट लेकर किया है।

अलीगढ़ क्यों है प्रसिद्ध

विश्व भर में ताला नगरी के नाम से विश्व विख्यात प्राप्त कर चुके अलीगढ़ शहर को गेटों के शहर के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि, अलीगढ़ को पहले कोल के नाम से पहचाना जाता था। आपको बता दें कि यहां कोल नाम से एक किला भी बनाया गया था। इस किले को विस्तार देते हुए अंग्रेजी शासन काल में जिला बनाया और जो पूरे तरीके से किले पर आधारित था।

जातिगत समीकरण

अलीगढ़ कल्याण सिंह की धरती की वजह से भी प्रसिद्ध है। बुद्धिजीवियों की धरती पर ब्राह्मण के साथ-साथ राजपूत वोटर्स की भी संख्या ज्यादा है। हालांकि यहां पर जातिगत समीकरण का महत्व ज्यादा नहीं है। यहां पर खड़े हुए ब्राह्मण चेहरे सतीश गौतम को 2019 के आम चुनाव में 50 फीसद से भी अधिक वोट हासिल हुए थे। सतीश गौतम को 2014 में मिले 48 फीसदी वोट की तुलना में 56 फीसदी वोट आए थे। जिले में 2019 के चुनाव के समय करीब 20 फीसदी मुस्लिम आबादी थी, और करीब 80 प्रतिशत वोटर्स हिंदू थे। और तब यहां मुसलमानों की संख्या करीब 4.5 लाख के पास थी। जबकि लोध वोटर्स की संख्या करीब 2.5 लाख के करीब रही थी इसी के साथ जाट वोटर्स भी यहां मजबूत स्थिति में हैं।

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