उत्तर प्रदेश के एटा जिले के मलावन क्षेत्र में स्थित निर्माणाधीन जवाहर तापीय परियोजना इन दिनों श्रमिकों के भारी विरोध और हड़ताल का गवाह बन रही है। इस परियोजना में कोरियाई कंपनी ‘दूसान’ के अधीन कई उपकंपनियों के जरिए सैकड़ों मजदूर कार्यरत हैं, जिनमें आसपास के जिलों के अलावा अन्य राज्यों से आए मजदूर भी शामिल हैं। श्रमिकों का आरोप है कि उन्हें पिछले छह महीनों से वेतन नहीं मिला है, जिसके चलते उनके सामने रोजी-रोटी का गंभीर संकट खड़ा हो गया है।
श्रमिक देशपाल सिंह, जो परियोजना में फिटर के तौर पर काम कर रहे हैं, ने बताया कि एक साल पहले भी ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हुई थी लेकिन तब उन्हें झूठा आश्वासन देकर शांत कर दिया गया था। उनका दावा है कि इस बार भी प्रशासन और ठेकेदारों की मिलीभगत से उन्हें काम तो कराया जा रहा है, लेकिन वेतन का भुगतान नहीं हो रहा। देशपाल का आरोप है कि कंपनी द्वारा फर्जी फिंगरप्रिंटिंग कर लाखों रुपये का घोटाला भी किया गया है।
श्रमिक अतुल दीक्षित ने बताया कि ‘मेक मारवैल’ और ‘एनएस कंपनी’ जैसे ठेकेदार कह रहे हैं कि उन्हें खुद ‘दूसान कंपनी’ से भुगतान नहीं मिला है, इसलिए वे मजदूरों को भी वेतन नहीं दे सकते। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ लेटलतीफी नहीं बल्कि मजदूरों के शोषण का संगठित तरीका बन चुका है।
मजदूर सतेंद्र कुमार, जो दो माह से एक कंपनी में और पहले तीन माह एनएस कंपनी में काम कर चुके हैं, ने कहा कि किसी भी कंपनी ने उनका मेहनताना नहीं दिया है। वह बताते हैं कि ठेकेदार और कंपनी के अधिकारी सिर्फ झूठे आश्वासन देकर टालते आ रहे हैं, जबकि मजदूरों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी है।
श्रमिक विकास ने बताया कि पिछले पांच महीने से कोई वेतन नहीं मिला है और अब तो पेट भरने की भी नौबत नहीं बची है। उन्होंने कहा कि न कंपनी के पास कोई जवाब है और न ही कोई आश्वासन, जिससे मजदूरों के सामने पूर्ण रूप से निराशा की स्थिति है।
श्रमिकों का स्पष्ट कहना है कि जब तक उन्हें पूरा बकाया वेतन नहीं मिल जाता, तब तक वे हड़ताल जारी रखेंगे। अब यह मामला सिर्फ वेतन नहीं बल्कि मानवाधिकारों के उल्लंघन और प्रशासनिक उदासीनता का भी बन चुका है।सरकार और श्रम विभाग की चुप्पी मजदूरों की स्थिति को और भी खराब कर रही है।