प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने आज अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ के नव-निर्मित भवनों के निर्माण कार्यों का निरीक्षण व समीक्षा कर विश्वविद्यालय प्रशासन तथा निर्माण एजेंसी के अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इस अवसर पर राज्यपाल जी ने विश्वविद्यालय परिसर में मियावाकी वन की स्थापना और उद्घाटन भी किया।
राज्यपाल ने नवनिर्मित भवनों की गुणवत्ता का निरीक्षण करते हुए निर्देश दिया कि विश्वविद्यालय स्वयं निर्माण कार्यों की नियमित निगरानी करे, डिज़ाइन से लेकर निर्माण तक की प्रत्येक प्रक्रिया सुनियोजित एवं गुणवत्ता पूर्ण होनी चाहिए। निर्माण में यदि कोई कमी पाई जाती है तो उसे निर्धारित समयसीमा के भीतर दूर किया जाए। राज्यपाल ने पीडबल्यूडी के अधिकारियों को निर्देश दिया कि निर्माण कार्यों से संबंधित कर्मियों को विशेष रूप से किचन और वॉश बेसिन एरिया के डिज़ाइन व कार्य प्रणाली को लेकर प्रशिक्षण प्रदान किया जाना आवश्यक है, ताकि बड़े संस्थानों की आवश्यकताओं के अनुरूप भवनों का निर्माण हो सके।
राज्यपाल ने शोध और प्रशिक्षण को विश्वविद्यालय की कार्यसूची में सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात कही। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में स्किल लैब या स्किल सेंटर की स्थापना की जाए, जहाँ अन्य महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी भी शोध और अभ्यास कर सकें। शोध करने वाले विद्यार्थियों को सभी आवश्यक सुविधाएं समय से उपलब्ध कराई जाएं ताकि शोध कार्य निरंतर और बाधारहित रूप से आगे बढ़ सके।
राज्यपाल ने निर्देश दिया कि विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में विश्व स्तरीय पुस्तकों, शोध पत्रिकाओं एवं रेयर ऑपरेशंस का समुचित संग्रह होना चाहिए। दुनिया भर में हो रहे विशिष्ट मेडिकल ऑपरेशंस का रिकॉर्ड भी पुस्तकालय में रखा जाए, ताकि विद्यार्थी और शोधकर्ता लाभान्वित हो सकें। विश्वविद्यालय का मुख्य लक्ष्य होना चाहिए कि विद्यार्थियों के लिए ऐसा सकारात्मक एवं सहयोगी वातावरण तैयार किया जाए, जिसमें वे निर्भीक, रचनात्मक और विकासोन्मुख हो सकें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन को पूर्व नियोजित, चरणबद्ध और दीर्घकालिक योजना बनाकर कार्य करना चाहिए ताकि लक्ष्य स्पष्ट और परिणाम ठोस हों। उन्होंने विश्वविद्यालय के कर्मचारियों एवं स्टाफ से भी संवाद किया और उन्हें आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान किए।
उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि विश्वविद्यालय में जो भी फर्नीचर खरीदा जाए, उस पर खरीद का वर्ष व संख्या स्पष्ट रूप से अंकित होनी चाहिए, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और भविष्य में कोई भ्रम उत्पन्न न हो। उन्होंने परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों का भी निरीक्षण किया और उनकी कार्यक्षमता की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से हर महत्वपूर्ण क्षेत्र में कैमरों की निगरानी प्रभावी रूप से संचालित होनी चाहिए।
राज्यपाल ने उत्तर पुस्तिकाओं की गुणवत्ता व मूल्यांकन प्रक्रिया पर ध्यान देने को कहा। उन्होंने निर्देश दिया कि उत्तर पुस्तिकाओं में उतने ही पृष्ठ होने चाहिए, जितने की परीक्षा में आवश्यकता है, और मूल्यांकन पूरी पारदर्शिता व गंभीरता के साथ विद्यार्थियों के हित में किया जाए। उन्होंने कहा कि परीक्षा कक्षों पर विश्वविद्यालय का सीधा नियंत्रण रहना चाहिए ताकि परीक्षा प्रक्रिया में किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो और संस्थागत व्यवस्था मजबूत बनी रहे। विद्यार्थियों के सभी ग्रीवांसेस का समाधान समयबद्ध रूप से किया जाना चाहिए ताकि उन्हें अनावश्यक कठिनाई का सामना न करना पड़े।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय प्रशासन को निर्देश दिया कि विद्यार्थियों पर अनावश्यक फीस वृद्धि का बोझ न डाला जाए। मध्य सत्र में फीस नहीं बढ़ाई जानी चाहिए और इसके लिए एक समर्पित फीस निर्धारण समिति गठित कर नियमित मॉनिटरिंग की जाए। विश्वविद्यालय से संबद्ध कोई भी महाविद्यालय या संस्थान विश्वविद्यालय की अनुमति के बिना किसी भी स्तर पर फीस में वृद्धि न करें। विश्वविद्यालय को इसकी नियमित निगरानी और नियंत्रण रखना चाहिए।इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राज्यपाल डॉ. सुधीर महादेव बोबडे, विश्वविद्यालय के कुलपति डा संजीव मिश्रा, कुलसचिव, वित्त नियंत्रक, पीडब्ल्यूडी के अधिकारी, प्रोजेक्ट मैनेजर, प्रशासनिक अधिकारियों सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित रहे।