उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने जनपद ललितपुर में जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक कर विकास कार्यों की समीक्षा की।राज्यपाल ने निर्देश दिए कि प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री जी की मंशानुसार अंत्योदय की भावना को ध्यान में रखते हुए सरकार की सभी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाना प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि यह कार्य बिना किसी भेदभाव और पूरी पारदर्शिता के साथ किया जाए।
राज्यपाल ने जनपद में कराए गए जीरो पावर्टी सर्वे की सराहना करते हुए कहा कि प्रत्येक ग्राम में गरीब व जरूरतमंद परिवार रहते हैं, इसलिए लाभ सीधे उनके घर पहुँचाया जाए ताकि लाभार्थियों को दफ्तरों के चक्कर न लगाने पड़ें। उन्होंने जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी को निर्देश दिया कि सभी सर्वेक्षणों की स्वयं निगरानी कर उन्हें समय पर लक्ष्य तक पहुँचाएँ।
उन्होंने जनप्रतिनिधियों से अपने क्षेत्रों में बाल विवाह रोकथाम, शराबबंदी और महिला शिक्षा के प्रति जनजागरूकता अभियान चलाने का आह्वान किया। राज्यपाल जी ने निर्देश दिया कि सभी विभागों में जनशिकायतों का तत्काल निस्तारण सुनिश्चित किया जाए और उसका रिकॉर्ड भी रखा जाए। साथ ही मतदाता पुनरीक्षण कार्य गंभीरता से हो तथा किसी भी प्रकार की डुप्लीकेसी न हो।
राज्यपाल ने बाल विवाह को गंभीर समस्या बताते हुए कहा कि इसकी रोकथाम के लिए अधिकारियों को व्यक्तिगत रुचि लेकर कार्य करना होगा। उन्होंने निर्देश दिया कि ऐसे मामलों में विवाह से पहले ही काउंसलिंग हो और यदि फिर भी विवाह कराया जाता है तो पुलिस कार्रवाई की जाए। प्रत्येक विवाह का अनिवार्य पंजीकरण सुनिश्चित हो। उन्होंने यह भी कहा कि हर गांव में महिलाओं की टोलियां बनाई जाएं, जो शराब मुक्ति, बाल विवाह रोकथाम और बच्चों व महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाएँ।
शिक्षा व्यवस्था की समीक्षा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि अप्रैल माह में बच्चों का नामांकन कम होना चिंता का विषय है। इसके लिए प्रत्येक गांव में सर्वे कराकर बच्चों का नामांकन कराया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि बच्चा 3 वर्ष की आयु में आंगनबाड़ी केन्द्र और 6 वर्ष की आयु में कक्षा 1 में प्रवेश ले। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों को और अधिक सशक्त बनाया जाए ताकि कोई भी बच्चा कुपोषण से ग्रसित न हो।
राज्यपाल ने निर्देश दिया कि जनपद के खेल मैदानों पर प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएं। प्रतियोगिता की सूचना कम से कम दो माह पूर्व ग्राम पंचायतों को दी जाए ताकि बच्चे तैयारी कर सकें। उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूहों की स्थिति को बेहतर बनाकर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ा जाए।