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राजयपाल आनंदीबेन पटेल ने विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत लाभ सामग्री की वितरित

राज्यपाल ने जनपद सीतापुर में विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत प्री-स्कूल किट, हाइजीन किट, पोषण पोटली, आयुष्मान कार्ड, ई-रिक्शा चाभी, घरौनी, टीबी किट, प्रमाण-पत्र, ऋण स्वीकृति पत्र, अनुदान चेक एवं अन्य लाभ सामग्री का किया वितरण

By: Desk Team  RNI News Network
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राजयपाल आनंदीबेन पटेल ने विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत लाभ सामग्री की वितरित

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने जनपद सीतापुर में 200 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को प्री-स्कूल किट एवं हाईजीन किट, पोषण अभियान के अंतर्गत 100 पोषण पोटली, 100 आयुष्मान कार्ड, 20 समूह की महिलाओं को ई-रिक्शा चाभी, 50 स्वामित्व योजनांतर्गत घरौनी, 100 टी0बी0 किट, 100 एन0आर0एल0एम0 प्रमाण-पत्र, मुद्रा योजना अंतर्गत 10 ऋण स्वीकृति-पत्र, पीएम सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत 50 ऋण स्वीकृति पत्र, 100 पीएम किसान सम्मान निधि प्रमाण-पत्र, उज्ज्वला योजना अंतर्गत 100 अनुदान चेक, 100 वृद्धावस्था पेंशन योजना स्वीकृति पत्र, 50 स्पॉन्सरशिप योजना स्वीकृति पत्र, पीएम विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत 50 किट वितरित किया।
इस अवसर पर आंगनबाड़ी केंद्रों के नन्हे-मुन्ने बच्चों ने गुलाब पुष्प अर्पित कर तथा मनमोहक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से उनका आत्मीय स्वागत किया। बच्चों की सृजनात्मक प्रस्तुतियों से अभिभूत होकर राज्यपाल जी ने उन्हें उपहार प्रदान कर प्रोत्साहित किया।
राज्यपाल जी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि इन प्यारे-प्यारे बच्चों ने जो योग प्रदर्शन किया है, वह इस उम्र में अद्भुत है। यह कार्य हम बड़ों के लिए भी आसान नहीं होता। बच्चों को संस्कार देना हमारी जिम्मेदारी है, क्योंकि जैसा वातावरण घर और परिवार में होगा, वैसे ही संस्कार बच्चों में विकसित होंगे।
राज्यपाल जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज का समय बेटियों को पराया समझने का नहीं, बल्कि उन्हें हर क्षेत्र में समान भागीदारी देने का है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि हमारी बेटियों को भी शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक विकास, विज्ञान, खेलकूद, कला-संस्कृति और प्रत्येक क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखाने का पूरा अवसर मिलना चाहिए।
उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्रों को बच्चों की नींव मजबूत करने वाला एक सशक्त मंच बताया और कहा कि हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है कि आंगनबाड़ी केन्द्रों में पढ़ने वाले बच्चों की नींव को मजबूत करें, क्योंकि मजबूत नींव पर ही किसी राष्ट्र का उज्ज्वल भविष्य टिका होता है। यदि बचपन से ही बच्चों को समुचित पोषण, संस्कार, शिक्षा और स्नेह मिले, तो वे न केवल अपने जीवन में सफल होंगे बल्कि भविष्य में देश का भी नाम रोशन करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों को केवल पोषण और स्वास्थ्य सेवा का केन्द्र न मानकर एक समग्र विकास मंच के रूप में देखा जाना चाहिए, जहाँ बच्चों की प्रारम्भिक शिक्षा, संस्कार और रचनात्मक विकास पर भी विशेष ध्यान दिया जाए। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन होना चाहिए, जो बच्चों की जिज्ञासा को जागृत करें, उनकी रचनात्मकता को बढ़ावा दें और उन्हें सीखने का उत्साह प्रदान करें।
उन्होंनेे कहा कि जिस प्रकार एक माली छोटे पौधे की देखभाल करता है और उसे बड़ा करता है और उसी प्रकार छोटे बच्चों का भी लालन-पालन होना चाहिये, यह माता-पिता की ही जिम्मेदारी होती है, की वह अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें। उन्होंने विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में दी जा रही शिक्षा की गुणवत्ता की सतत् निगरानी की आवश्यकता पर भी बल दिया और कहा कि जब तक शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित नहीं की जाती, तब तक शिक्षा को पूर्ण नहीं माना जा सकता। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे देश के विकास में सक्रिय भूमिका निभाएं और नीति व नियमों के अनुरूप कार्य करें।
उन्होंने कहा कि बच्चों के समग्र विकास के उद्देश्य से आंगनबाड़ी केन्द्रों पर आंगनबाड़ी किट वितरित की जा रही हैं, जिससे बच्चों को प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने और सीखने की प्रक्रिया को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। यदि हम सभी एकजुट होकर संकल्पबद्ध प्रयास करें, तो बच्चों की शिक्षा, संस्कार और व्यक्तित्व विकास को मजबूती दी जा सकती है। इसके लिए सबसे पहले हमें अपने आचरण, व्यवहार और सोच को सकारात्मक एवं निर्मल बनाना होगा।
राज्यपाल जी ने इस बात को रेखांकित किया कि इन बच्चों को आगे बढ़ाना हम सभी का नैतिक कर्तव्य है, ताकि वे देश के प्रधानमंत्री द्वारा प्रस्तुत ’विकसित भारत-2047’ के संकल्प को साकार करने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकें। इसके लिए यह आवश्यक है कि प्रत्येक बच्चा आंगनबाड़ी केन्द्रों और विद्यालयों से जुड़कर नियमित शिक्षा प्राप्त करे। उन्होंने आंगनबाड़ी केन्द्रों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुये कहा कि यह केवल शिक्षा का ही माध्यम नहीं है, बल्कि गरीब एवं वंचित वर्ग के बच्चों के पोषण और समग्र विकास का केन्द्र भी है। उन्होंने प्री-स्कूल किट के प्रभावी उपयोग को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता बतायी। साथ ही उन्होंने बाल मनोविज्ञान को बढ़ाना देने पर बल दिया, जिससे बच्चों को अनुकूल शैक्षिक वातावरण मिल सके और उनका समग्र व्यक्तित्व विकास सुनिश्चित हो।
उन्होंने कार्यक्रम स्थल पर जल निगम, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, आयुष, बाल विकास एवं पुष्टाहार, कृषि, उद्यान, खाद्य प्रसंस्करण, बेसिक शिक्षा, कारागार, ओडीओपी राष्ट्रीय आजीविका मिशन आदि विभागों द्वारा लगाए गए स्टालों का निरीक्षण भी किया तथा अधिकारियों को निर्देशित किया कि जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक अवश्य पहुँचे। स्थानीय हस्तशिल्प उत्पादों एवं नवाचारों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने ग्रामीण उद्यमिता को आत्मनिर्भरता का आधार बताया।

कार्यक्रम के दौरान बच्चों ने ‘योग, स्वच्छता एवं स्वास्थ्य‘ पर आधारित सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दीं, जिन्हें सभी ने सराहा। डीएलएड प्रशिक्षुओं ने बाबा साहेब आम्बेडकर के विचारों के माध्यम से भारत की वैश्विक भूमिका पर प्रकाश डाला |

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