Atmanirbhar Bharat : उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने बस्ती में स्वदेशी उत्पादों के इस्तेमाल पर एक ज़ोरदार अपील की है। बस्ती के कृषि विज्ञान केंद्र बंजरिया में एक कार्यक्रम के दौरान उनका यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को सीधे तौर पर बल देता है। उन्होंने न सिर्फ स्वदेशी अपनाने का आह्वान किया, बल्कि इसके पीछे के कुछ बेहद महत्वपूर्ण और गंभीर कारण भी बताए।राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने अपने संबोधन में कहा कि हमें विदेशी वस्तुओं पर निर्भरता कम करनी चाहिए, और इसका सबसे बड़ा उदाहरण उन्होंने डेरी उत्पादों से दिया।
राज्यपाल ने खुलासा किया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अब दूसरे देशों से डेरी उत्पाद मंगाने पर रोक लगा दी है। इसके पीछे का कारण बताते हुए उन्होंने पशुओं के खान-पान की बात की, जो एक गंभीर मुद्दा है। राज्यपाल ने कहा कि हमने अपने प्रदेश में बाहर से डेरी प्रोडक्ट मंगाने से मना कर दिया है। आप जानते हैं, हमारे देश के पशु, हमारी गाय, हमारी भैंस घास और अनाज खाती हैं। लेकिन विदेशों में, जहाँ से ये डेरी उत्पाद आते हैं, वहाँ के पशुओं को मांसाहारी भोजन दिया जाता है। जो पशु मांस खाते हैं, क्या उनके दूध से बना पनीर या अन्य उत्पाद हमारे देश के लोग खाएंगे? क्या यह हमारे स्वास्थ्य और संस्कृति के लिए सही है?
यह सिर्फ स्वास्थ्य से जुड़ा सवाल नहीं है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक पहचान का भी है। राज्यपाल ने बताया कि सरकार इस मुद्दे को लेकर कितनी गंभीर है। विदेशी डेरी उत्पादों को महंगा करने के लिए उन पर भारी भरकम टैरिफ लगाने पर विचार हो रहा है। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि “सरकार इस पर काम कर रही है। इन विदेशी उत्पादों पर टैरिफ लगाने की बात हो रही है, कभी 50 प्रतिशत, तो कभी 80 प्रतिशत। जब यह सामान इतना महंगा हो जाएगा, तो लोग अपने आप ही स्वदेशी और सस्ते विकल्पों की तरफ मुड़ेंगे। इसीलिए हम कह रहे हैं कि स्वदेशी वस्तुओं को अपनाएं और अपने देश को मजबूत करें।
राज्यपाल का यह बयान सिर्फ एक अपील नहीं, बल्कि एक आर्थिक और सामाजिक रणनीति का हिस्सा है। इसका उद्देश्य सिर्फ व्यापार को नियंत्रित करना नहीं, बल्कि भारतीय किसानों और डेरी उद्योग को बढ़ावा देना है। जब लोग अपने देश में बने पनीर, मक्खन और दूध के उत्पादों का इस्तेमाल करेंगे, तो इसका सीधा फायदा हमारे किसानों और पशुपालकों को होगा। इससे उनकी आय बढ़ेगी और देश का ग्रामीण अर्थतंत्र मजबूत होगा।
अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतों के लिए किस तरह से विदेशी बाज़ारों पर निर्भर हैं। ‘आत्मनिर्भर भारत’ का असली मतलब तभी पूरा होगा जब हम हर छोटी-बड़ी चीज़ के लिए अपने देश के निर्माताओं पर भरोसा करेंगे। यह सिर्फ डेरी उत्पादों तक सीमित नहीं है, बल्कि हर उस वस्तु पर लागू होता है, जिसका उत्पादन भारत में हो सकता है।