मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश न केवल खाद्य सुरक्षा बल्कि खाद्य व्यवसाय के विकास के क्षेत्र में भी एक मॉडल राज्य बन चुका है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (FDSA) के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में फूड लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन में 200 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। वर्तमान में यूपी में 1.16 लाख फूड लाइसेंस और 7.43 लाख से अधिक रजिस्ट्रेशन सक्रिय हैं, जो कि फूड इंडस्ट्री के क्षेत्र में राज्य की बढ़ती भागीदारी को दर्शाता है।
2016-17 में जहां ₹12 लाख तक की फूड यूनिट्स के 1,99,711 रजिस्ट्रेशन थे, वहीं अब यह आंकड़ा बढ़कर 7,43,767 हो चुका है। वहीं ₹12 लाख से ₹30 करोड़ तक की कैटेगरी में लाइसेंस की संख्या 36,984 से बढ़कर 1,16,316 हो गई है। यह साफ दिखाता है कि कैसे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और डिजिटल गवर्नेंस के माध्यम से सरकार ने छोटे और बड़े फूड बिजनेस को बढ़ावा दिया है।
सरकार ने लाइसेंस प्रक्रिया को डिजिटल और पारदर्शी बनाते हुए FSSAI के FoSCoS पोर्टल के जरिए ऑनलाइन आवेदन की व्यवस्था की है।
सरकार द्वारा सभी मंडलों में फूड एंड ड्रग एनालिसिस हाईटेक लैब स्थापित की जा रही हैं। इसके साथ ही 36 मोबाइल फूड टेस्टिंग वैन प्रदेश भर में सक्रिय हैं, जो फूड क्वालिटी पर नजर रखती हैं।
उत्तर प्रदेश की यह प्रगति केवल व्यापारियों के लिए नहीं, बल्कि उपभोक्ताओं की सुरक्षा और विश्वास को भी मजबूत करती है। राज्य में खाद्य मानकों का पालन, तेजी से लाइसेंसिंग, और कड़ी निगरानी व्यवस्था इस बात का प्रमाण है कि योगी सरकार खाद्य सुरक्षा और उद्यमिता दोनों में संतुलन बनाए रख रही है।