आगरा नगर निगम ने पहले सड़कों पर प्रकाश देने के लिए और आगरा को और सुंदर बनाने के लिए महंगे दाम पर नियोन लाइटें खरीदी। पर इन लाइटों को खरीदने के बाद इनके रखरखाव पर किसी भी प्रकार का ध्यान नहीं रखा। ऐसे में निगम के लापरवाही का यह आलम है कि, लगाई गई तितली और त्रिशूल शेप की 250 नियोन लाइटों में से 180 से ज्यादा लाइटें खराब हो चुकी हैं।
आगरा शहर के सुंदरता में चार चांद लगाने के लिए आगरा नगर निगम ने हरीपर्वत से मदिया कटरा तक, बोदला रोड और मदिया कटरा से गुरुद्वारा गुरु का ताल रोड तक नियोन लाइट की तितलियां लगाई थी। वहीं यमुना किनारे रोड पर त्रिशूल के आकार का नियोन की लाइटों को लगाया था। जिनमें से हरीपर्वत से मदिया कटरा के बीच लगभग सभी लाइटें दम तोड़ चुकी हैं। तो वहीं, मदिया कटरा से गुरुद्वारा गुरु का ताल रोड पर मानसिक आरोग्यशाला के सामने 20 लाइटें जल रही हैं। बाकी सब खराब हैं।
रात में शहर की सुंदरता बढ़ाने के उद्देश्य से लगाई गईं ये बंद लाइटें अब शहर की शोभा बढ़ाने के बजाय खराब कर रही हैं। हालांकि जब ये लाइटें ठीक थी, तो रात में जलने पर काफी आकर्षक लगती थीं। लोगों की नजरें अपने आप ही इनको देखने के लिए खिंची आती थी।
पूर्व में नगर निगम अधिवेशन के दौरान राजनगर के पार्षद बंटी माहौर ने यमुना किनारा और बोदला रोड पर लगाई गई नियोन लाइटों के संदर्भ में जमकर भ्रष्टाचार होने का मामला उजागर किया। इसको लेकर उनका कहना था कि एक नियोन लाइट की कीमत 650 रुपए हैं। जबकि निगम ने 14 हजार रुपए में एक तितली लगाई है। उनके क्षेत्र में स्ट्रीट लाइटें बंद हैं। उनके लिए पैसे नहीं है, पर ऐसी सजावटी लाइटों को खरीदने पर निगम का पैसा बर्बाद नहीं हो रहा है।
शहर के प्रमुख मार्गों पर तिरंगी लाइटें भी लगाई थीं। एमजी रोड, माल रोड, यमुना किनारा रोड, सिकंदरा रोड, यमुना किनारा आदि स्थानों पर तिरंगी लाइटें लगाई थीं। इनमें से एमजी रोड, यमुना किनारा, सिकंदरा रोड की अधिकांश तिरंगी लाइटें खराब हैं।
पार्षद सुनील शर्मा ने बताया कि अधिकांश नियोन लाइटें खराब हैं। नगर निगम में कोई सुनवाई नहीं होती। पहले तो महंगे रेट पर ये लाइटें खरीदीं, फिर इसकी देखरेख पर ध्यान नहीं दिया।