बाराबंकी जनपद के हैदरगढ़ क्षेत्र स्थित औसानेश्वर मंदिर में सावन के तीसरे सोमवार को उस समय भारी अफरा-तफरी मच गई जब टीन शेड में करंट दौड़ जाने से भगदड़ मच गई। इस दर्दनाक हादसे में दो श्रद्धालुओं की मौके पर ही मौत हो गई जबकि तीन दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए। हादसे की सूचना मिलते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया और आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए।
हर वर्ष की तरह इस बार भी सावन के तीसरे सोमवार को औसानेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी थी। दूर-दराज से आए सैकड़ों श्रद्धालु टीन शेड के नीचे बैरिकेटिंग में खड़े होकर भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। तभी अचानक टीन शेड में करंट फैल गया, जिससे लोगों में चीख-पुकार मच गई और भगदड़ शुरू हो गई।
हादसे में दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि कई गंभीर रूप से झुलस गए। घटना की सूचना मिलते ही डीएम, एसपी और अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। सभी घायलों को तत्काल सीएचसी में भर्ती कराया गया, जहां कई की हालत गंभीर बनी हुई है।
घटना के तुरंत बाद मंडलायुक्त गौरव दयाल और आईजी प्रवीण कुमार ने मंदिर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और जांच के निर्देश दिए। उन्होंने मंदिर प्रशासन और बिजली विभाग की कार्यप्रणाली की समीक्षा की और भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए पुख्ता व्यवस्था करने को कहा।
घटना को लेकर उत्तर प्रदेश एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष बैजनाथ रावत ने भी मौके का दौरा किया। उन्होंने मंदिर प्रबंधन और जिला प्रशासन को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि यह प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम है, जिसे किसी भी हाल में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।
घटना के बाद क्षेत्रीय विधायक दिनेश रावत भी घटनास्थल पर पहुंचे और फिर सीएचसी जाकर घायलों का हालचाल जाना। उन्होंने प्रशासन से घटना की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। वहीं हैदरगढ़ से समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक राममगन रावत ने भी मंदिर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और मीडिया से बातचीत में घटना पर गहरा दुख जताया। उन्होंने मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये की बजाय 50 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग उठाई। साथ ही मंदिर परिसर में समुचित सुरक्षा और व्यवस्थाओं की आवश्यकता पर बल दिया।
यह हादसा सावन जैसे पवित्र महीने में श्रद्धालुओं की जान की सुरक्षा को लेकर बड़ी लापरवाही को उजागर करता है। जहां एक ओर भक्तगण आस्था के साथ मंदिरों में उमड़ते हैं, वहीं प्रशासनिक तैयारियों की पोल भी इस घटना से खुल गई है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में कितनी तत्परता दिखाता है और क्या जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाते हैं या नहीं।