उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘डिजिटल इंडिया’ विजन को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर राज्य भर में भू-अभिलेखों के डिजिटल आधुनिकीकरण की परियोजना शुरू की गई है, जिसके तहत 121 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। यह फंड भारत सरकार के डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम (DILRMP) के तहत आवंटित हुआ है।
इस योजना के अंतर्गत राज्य के सभी भू-नक्शे, खतौनी और खसरा जैसे भूमि दस्तावेजों को डिजिटल रूप दिया जाएगा। जनता को इन दस्तावेजों को प्राप्त करने के लिए अब सरकारी कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे, बल्कि एक क्लिक में ये सभी रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध होंगे। इसके लिए एक विस्तृत डाटा बैंक तैयार किया जा रहा है।
भारत सरकार द्वारा स्वीकृत 121 करोड़ रुपये में से अब तक 46.45 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं, जबकि शेष 74.64 करोड़ रुपये जल्द ही जारी किए जाएंगे। इस बजट का उपयोग आधुनिक डिजिटल संरचना विकसित करने में किया जाएगा, जिससे रिकॉर्ड प्रबंधन और दस्तावेजों की उपलब्धता प्रभावी और पारदर्शी बनेगी।
इस परियोजना के तहत प्रदेश के सभी जिलों में मॉडर्न रिकॉर्ड रूम बनाए जाएंगे। साथ ही DILRMP सेल की स्थापना की जाएगी जो इस कार्य को कार्यान्वित करेगी। इसके अलावा एक विशेष कंप्यूटर प्रयोगशाला और एक मजबूत डाटा बैंक का भी निर्माण किया जाएगा, ताकि आमजन आसानी से भू-अभिलेखों तक पहुंच बना सकें।
योजना को समयबद्ध और पारदर्शी तरीके से लागू करने के लिए एक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (PMU) के गठन की प्रक्रिया चल रही है। यह यूनिट पूरी परियोजना की निगरानी करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि हर नागरिक को बिना परेशानी के ऑनलाइन भूमि दस्तावेजों तक पहुंच प्राप्त हो।
यह परियोजना डिजिटल इंडिया अभियान को उत्तर प्रदेश में एक मजबूत ज़मीनी आधार प्रदान करेगी। भूमि से जुड़े मामलों में न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि भ्रष्टाचार और दलालों की भूमिका में भी कटौती होगी। इसके साथ ही आम नागरिकों को तेजी से सेवा का लाभ मिलेगा और न्यायिक विवादों में भी गिरावट आने की उम्मीद है।