जिला मुख्यालय स्थित जिला अस्पताल जालौन में बीते चार दिनों से डायलेसिस मरीजों को गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल में पानी की किल्लत के कारण डायलेसिस सेंटर पूरी तरह ठप पड़ा हुआ है, जिससे गुर्दा रोग से पीड़ित मरीजों की जान पर खतरा मंडरा रहा है।
पानी की कमी से रुकी जिंदगी बचाने वाली सेवा
अस्पताल के डायलेसिस यूनिट में पिछले चार दिनों से पानी की आपूर्ति बाधित है। डायलेसिस मशीनों के संचालन के लिए शुद्ध पानी की सतत आपूर्ति जरूरी होती है, लेकिन जल संकट के कारण कई मरीजों का डायलेसिस अधूरा रह गया या रद्द करना पड़ा। मरीजों के परिजनों ने कहा — “डॉक्टरों ने हमें कहा कि बिना पानी के मशीनें नहीं चल सकतीं, लेकिन इतने दिन बीत जाने के बाद भी कोई समाधान नहीं किया गया।”
CMS पर लापरवाही के आरोप
मरीजों के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन और CMS (मुख्य चिकित्सा अधीक्षक) पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। परिजनों का कहना है कि प्रशासन को बार-बार सूचित करने के बावजूद कोई जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। “डायलेसिस जैसी गंभीर सेवा का ठप होना अस्पताल की बड़ी नाकामी है,” — परिजनों का आरोप।
डीएम से की गई शिकायत, कार्रवाई की प्रतीक्षा
मामले की जानकारी जिलाधिकारी (DM) जालौन को भी दी गई है।मरीजों के परिवारों ने लिखित शिकायत में तत्काल पानी आपूर्ति बहाल कर डायलेसिस यूनिट को चालू कराने की मांग की है। हालांकि, अब तक अस्पताल प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
मरीजों में बढ़ी बेचैनी, कई को निजी केंद्रों का सहारा
डायलेसिस रुकने से कई मरीजों को मजबूरन निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है, जहां इलाज का खर्च हजारों रुपये प्रति सत्र तक पहुंच रहा है। गरीब परिवारों के लिए यह आर्थिक बोझ बन गया है। “हमारे पास न पैसे हैं, न विकल्प — सरकार अस्पताल में सुविधा क्यों नहीं देती?” — एक मरीज के परिजन की पीड़ा।
अस्पताल प्रशासन की चुप्पी बनी सवाल
मामले पर अस्पताल प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। सूत्रों के अनुसार, जलापूर्ति की समस्या पुरानी पाइपलाइन और टंकी में खराबी के कारण उत्पन्न हुई है, लेकिन मरम्मत कार्य में देरी के चलते स्थिति और बिगड़ गई है।
जालौन जिला अस्पताल में डायलेसिस सुविधा का ठप होना सरकारी स्वास्थ्य तंत्र की गंभीर विफलता को उजागर करता है। जहां एक ओर सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के दावे कर रही है, वहीं दूसरी ओर मूलभूत सुविधाओं की कमी से मरीजों की जान पर संकट बना हुआ है। मरीजों और उनके परिजनों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द पानी की समस्या हल की जाए और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाए।