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Gorakhpur : बांध मरम्मत में घोटाले का खुलासा, मानसून के पहले ही दरकने लगे तटबंध

Gorakhpur : गोरखपुर में राप्ती नदी के बांधों की मरम्मत अधूरी रह गई है, जिससे मानसून में टूटने का खतरा बढ़ गया है। गंडक विभाग के अधिकारी और बाहर से आए ठेकेदार सरकारी धन का दुरुपयोग कर काम अधूरा छोड़ गए हैं। इससे नदी का जलस्तर बढ़ने पर भारी जनहानि की आशंका जताई जा रही है।

By: Desk Team  RNI News Network
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Gorakhpur : बांध मरम्मत में घोटाले का खुलासा, मानसून के पहले ही दरकने लगे तटबंध

गोरखपुर में निरंतर हो रही बारिश और नेपाल द्वारा नदियों में छोड़े गए पानी के चलते राप्ती नदी का जलस्तर बढ़ता जा रहा है। इसी बीच चौरीचौरा क्षेत्र के बहुआबर बंधे पर हाल ही में किए गए मरम्मत कार्य में बड़े घोटाले का मामला उजागर हुआ है। मौके पर निरीक्षण के दौरान सामने आया कि मरम्मत कार्य अधूरा पड़ा है और 20% काम भी सही से नहीं हुआ है। मिट्टी दरक रही है, बोल्डर पीचिंग का कार्य भी अधूरा पड़ा है, जबकि 15 जून तक काम पूरा करने की डेडलाइन थी।

स्थानीय लोगों और सूत्रों के अनुसार गंडक विभाग के मुख्य अभियंता विकास कुमार सिंह ने पारंपरिक ठेकेदारों को दरकिनार कर बाहरी ठेकेदारों को काम सौंपा। इन बाहरी ठेकेदारों ने विभाग से भुगतान तो पूरा उठा लिया, लेकिन काम अधूरा छोड़ दिया। अब बारिश शुरू होते ही हालात और बिगड़ गए हैं। नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और अधूरे बांध इस दबाव को झेलने में असमर्थ नजर आ रहे हैं। अगर नेपाल और अधिक पानी छोड़ेगा तो ये बांध टूट सकते हैं, जिससे जनहानि की बड़ी आशंका बन गई है।

स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि विभाग की मिलीभगत से सरकारी धन का जमकर बंदरबांट हुआ। हर साल की तरह आपदा के नाम पर करोड़ों रुपये का बजट निकाला जाएगा, जिसे अफसर और ठेकेदार आपस में बांट लेंगे, जबकि कागजों पर काम पूरा दिखा दिया जाएगा। लेकिन जमीनी हकीकत इन बंधों पर साफ देखी जा सकती है।

इसी घोटाले को उजागर करने के लिए यूपी के बात टीम ने बहुआबर क्षेत्र का दौरा किया, जहां हालात बेहद चिंताजनक पाए गए। बांध की मरम्मत में घोर लापरवाही, घटिया सामग्री और अधूरे कार्य का नतीजा आने वाले दिनों में बड़ी तबाही का कारण बन सकता है। लोग दहशत में हैं कि अगर बांध टूट गया तो भारी नुकसान होगा।

वॉकथ्रू रिपोर्ट में बताया गया कि मिट्टी की गुणवत्ता घटिया थी और बरसात शुरू होते ही मिट्टी बहने लगी, जिससे कई जगह दरारें पड़ गईं। विभागीय अधिकारियों ने न तो सही मॉनिटरिंग की और न ही समय से काम को पूरा कराया। प्रशासन की यह लापरवाही और भ्रष्टाचार किसी बड़े हादसे को न्योता दे रहे हैं।

वर्तमान में काम बंद पड़ा है और मानसून की रफ्तार तेज होती जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि हर साल विभाग आपदा का बहाना बनाकर करोड़ों रुपये का बजट खा जाता है लेकिन स्थिति जस की तस रहती है। अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो इन अधूरे बंधों के कारण राप्ती नदी के तटवर्ती इलाकों में जनहानि व भारी नुकसान तय है।

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