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सिंचाई विभाग के कामों की गुणवत्ता पर उठे सवाल, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी करोड़ों की परियोजना

सिंचाई विभाग में करोड़ों का घोटाला सामने आया है। विभाग के अफसर सिंचाई विभाग की परियोजना को पलीता लगाने में जुटे हुए हैं। जिसके चलते करोड़ों की परियोजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं। सिंचाई विभाग के अपर खण्ड द्वारा रजवाहे को बनाने का काम चल रहा है, लेकिन अभी से ही उसकी दीवारों में मोटी मोटी दरारें पड़ गई हैं। जिसके चलते सिंचाई विभाग के कामों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

By: Desk Team  RNI News Network
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सिंचाई विभाग के कामों की गुणवत्ता पर उठे सवाल, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी करोड़ों की परियोजना

सहारनपुरः सिंचाई विभाग में करोड़ों का घोटाला सामने आया है। विभाग के अफसर सिंचाई विभाग की परियोजना को पलीता लगाने में जुटे हुए हैं। जिसके चलते करोड़ों की परियोजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं। सिंचाई विभाग के अपर खण्ड द्वारा रजवाहे को बनाने का काम चल रहा है, लेकिन अभी से ही उसकी दीवारों में मोटी मोटी दरारें पड़ गई हैं। जिसके चलते सिंचाई विभाग के कामों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस मामले को लेकर जब हमारी टीम सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता के दफ्तर पहुंची तो अधिशासी अभियंता कैमरे से बचता नजर आया।

 

सिंचाई विभाग में करोड़ों के काम किए जाते हैं। मगर धरातल पर काम की गुणवत्ता पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्राथमिकता पर सिंचाई और बाढ़ राहत के तमाम कामों के लिए हर वर्ष करोड़ों करोड़ का बजट जारी करते हैं। मगर काम की गुणवत्ता कहीं दिखाई नहीं देती। इतना ही नहीं इस बारे में जब उच्चाधिकारियों से बात की जाती है तो ना तो उनको बजट का मालूम होता है और ना ही काम की समय अवधि पूरा होने का। दरअसल सहारनपुर सिंचाई विभाग के अपर खंड पूर्वी यमुना नहर के अंतर्गत रंडोल रजवाहे में एक चैनल का कार्य होना था। जो करीब 3 करोड़ का काम था और मई माह तक पूरा होना था। लेकिन सिंचाई विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से ये काम अभी तक पूरा नहीं हुआ हमारी टीम ने जब इसकी पड़ताल की तो वही ढाक के तीन पात नजर आए। मौके पर जहां चैनल की दीवार में जगह जगह दरारें आई हुई है तो वहीं चैनल के सिमेंटेड बेस में भी दरारें दिखाई दी। इतना ही नहीं दीवारों के बराबर में जो मिट्टी डाली गई है वह भी आधी अधूरी डालकर इतिश्री कर दी गई है। इतना ही नहीं पुरानी दीवार पर ही स्ट्रकचर खड़ा कर दिया गया है। जो कभी भी गिर सकता है। ऐसा नहीं है कि इन कामों का निरीक्षण नहीं किया गया। सिंचाई विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा इस परियोजना का कई बार निरीक्षण भी किया गया। लेकिन कार्य में इस्तेमाल घटिया सामग्री को विभाग के अफसर भांप नहीं पाए। हालांकि इस बारे में जब सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता ओम प्रकाश वर्मा से बात की गई तो कैमरे के सामने गोलमोल जवाब देते नजर आए।

कुल मिलाकर देखा जाए तो सरकारी धन का दुरुपयोग और कमीशन खोरी यानी कि भ्रष्टाचार की परतें सिंचाई विभाग के इस काम में साफ तौर पर दिखाई दी। क्योंकि किसी भी परियोजना का जब टेंडर डाला जाता है। तो वह टेंडर पहले ही कम रेट पर छूटता है और बाद में उन्हीं कामों में अफसरों की कमीशन खोरी के चलते ये परियोजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है।

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