समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य एक बार फिर विवादों में हैं। उन्होंने पूर्व में रामचरित मानस को लेकर आपत्तिजनक और अशोभनीय टिप्पणी की थी, जिस पर अधिवक्ता अशोक कुमार जाटव ने अदालत में शिकायत दर्ज कराई। अधिवक्ता का कहना है कि भगवान राम के जीवन पर आधारित गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस हिंदू समाज की आस्था का प्रतीक है और इस पर किसी भी तरह की अभद्र टिप्पणी स्वीकार्य नहीं है। उनका आरोप है कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के इशारे पर हिंदू समाज को बांटने और आस्था को ठेस पहुँचाने के उद्देश्य से इस तरह का बयान दिया।
अधिवक्ता अशोक जाटव ने अपनी शिकायत में कहा कि मौर्य ने रामचरित मानस को “बकवास” बताकर हिंदू धर्मावलंबियों की भावनाओं को आहत किया है। इसे आस्था के साथ खिलवाड़ और धार्मिक असहिष्णुता फैलाने की साजिश बताया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने थाना कैंट पुलिस को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। अदालत ने साफ कहा कि धार्मिक आस्थाओं से जुड़े विषयों पर असंवेदनशील बयानबाजी किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है।
फिलहाल अदालत के आदेश के बाद मुकदमा दर्ज होने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अधिवक्ता ने स्पष्ट किया कि इस मामले में हिंदू समाज की भावनाओं की रक्षा के लिए कड़ा कदम उठाया जाएगा और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।