उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले की भोपा थाना क्षेत्र अंतर्गत आने वाली नगर पंचायत भोकरहेड़ी एक बार फिर प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण सुर्खियों में है। यहां मोहल्ला कुँवापट्टी में पिछले छह माह से तालाब के सौंदर्यकरण का कार्य किया जा रहा है, जो अब जनता के लिए मुसीबत का सबब बन गया है।
तालाब की निर्माणाधीन दीवारें दरकने लगी हैं, जिससे आस-पास के घरों पर खतरा मंडराने लगा है। क्षेत्र में हो रही बारिश ने हालात को और बिगाड़ दिया है—कई घरों की छतें टपकने लगी हैं और लोग भयभीत हैं कि कहीं उनके मकान गिर न जाएं। स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप की गुहार लगाई है।
तालाब के किनारे रहने वाले अहसान ने बताया कि दरकती दीवार उसके मकान के लिए खतरा बन गई है। वहीं, मोहल्ले के ही राहुल कुमार ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने घटिया निर्माण सामग्री को लेकर शिकायत की तो उन्हें उल्टा थाने में मुकदमा दर्ज कराने की धमकी दी गई।
सभासद देवेंद्र वामन का कहना है कि उन्होंने कई बार अधिकारियों को स्थानीय निवासियों की शिकायतों से अवगत कराया, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। उनका साफ कहना है कि अगर कोई हादसा होता है, तो इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह प्रशासन की होगी। पूर्व सभासद विनोद कुमार और मोहल्ले के निवासी सुमित ने भी निर्माण में लापरवाही और घटिया सामग्री के प्रयोग पर सवाल उठाए हैं।
तालाब सौंदर्यकरण के कार्य की शुरुआत मिट्टी खुदाई से हुई थी, जो महीनों तक अधूरी पड़ी रही। उसके बाद दीवार और रपटा निर्माण कार्य शुरू हुआ, जिसमें स्थानीय लोगों के अनुसार लगातार घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ। परिणामस्वरूप पहली ही बारिश में निर्माण की सच्चाई सामने आ गई—पानी के बहाव से दीवार दरक गई और मिट्टी बह गई।
वहीं, जब नगर पंचायत कार्यालय से संपर्क किया गया, तो वरिष्ठ लिपिक संजीव कुमार ने जानकारी दी कि यहां फिलहाल स्थायी अधिशासी अधिकारी की नियुक्ति नहीं है। वर्तमान में पुरकाजी नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी मनीष कुमार वर्मा को अस्थायी रूप से जिम्मेदारी सौंपी गई है।
जब मनीष कुमार वर्मा से संपर्क किया गया तो उन्होंने माना कि उन्हें इस समस्या की जानकारी अब मिली है और वह शीघ्र ही निरीक्षण कर आवश्यक कार्रवाई करेंगे।
गौर करने वाली बात यह है कि नगर पंचायत भोकरहेड़ी में लंबे समय से अधिशासी अधिकारी की नियमित नियुक्ति नहीं है, जिससे वहां चल रहे विकास कार्यों पर निगरानी का अभाव बना रहता है। परिणामस्वरूप भ्रष्टाचार और लापरवाही का बोलबाला है, जिसका खामियाजा सीधे तौर पर स्थानीय जनता को भुगतना पड़ रहा है।