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Noida : ग्रेनो अथॉरिटी की लापरवाही का CAG रिपोर्ट में खुलासा, हरे-भरे खेतों में अलॉट कर दिए प्‍लॉट

ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की गंभीर लापरवाहियों का खुलासा CAG की ताजा रिपोर्ट ने किया है। रिपोर्ट के अनुसार, अथॉरिटी ने वर्षों पहले उद्योगपतियों को उन जमीनों पर प्लॉट आवंटित कर दिए, जिन पर उनका खुद का कब्जा ही नहीं था।

By: Desk Team  RNI News Network
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Noida : ग्रेनो अथॉरिटी की लापरवाही का CAG रिपोर्ट में खुलासा, हरे-भरे खेतों में अलॉट कर दिए प्‍लॉट

ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की गंभीर लापरवाहियों का खुलासा CAG की ताजा रिपोर्ट ने किया है। रिपोर्ट के अनुसार, अथॉरिटी ने वर्षों पहले उद्योगपतियों को उन जमीनों पर प्लॉट आवंटित कर दिए, जिन पर उनका खुद का कब्जा ही नहीं था। इसके चलते उद्योग समय पर स्थापित नहीं हो पाए और स्थानीय लोगों को रोजगार भी नहीं मिला।

कैग रिपोर्ट में तीन बड़े मामलों का जिक्र है। डीएस ग्रुप को 2005 में सेक्टर ईकोटेक-1 में जमीन आवंटित की गई, लेकिन अप्रैल 2010 तक जमीन का कब्जा नहीं मिला। यूएसआई सर्विस सेंटर को भी इसी सेक्टर में जमीन दी गई, जिस पर हाईटेंशन लाइन गुजर रही थी, जिससे निर्माण संभव नहीं था। तीसरे मामले में आईएलईएक्स इंफ्रास्ट्रक्चर को 2006 में प्लॉट आवंटित हुआ, लेकिन 10 साल तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं बनी। इन तीन मामलों से अथॉरिटी को 10 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2580 प्लॉट में से 2021 तक सिर्फ 1341 कंपनियां ही चालू हो पाईं। यानी 52% कंपनियां ही समय पर शुरू हो सकीं। नियम के अनुसार 2–4 साल में उद्योग शुरू हो जाना चाहिए था, लेकिन 23 साल बाद भी 1239 प्लॉट पर उद्योग चालू नहीं हुए।

इसी तरह ईकोटेक-2 में 2007 से 2017 के बीच 193 प्लॉट जमीन पर कब्जा दिए बिना ही आवंटित कर दिए गए। जमीन न मिलने और विकास कार्य न होने से कंपनियां समय पर चालू नहीं हो सकीं। इसके चलते अथॉरिटी को 142 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। साथ ही पुराने रेट पर दूसरी जगह जमीन देने से भी अथॉरिटी को बड़ा वित्तीय नुकसान हुआ।

इसके अलावा औद्योगिक नीति का उल्लंघन कर आम्रपाली को तय प्रीमियम वसूलने से पहले ही प्लॉट को बंधक बनाने की अनुमति दी गई, जिससे आम्रपाली ने करोड़ों का लोन लिया और बाद में दिवालिया हो गई। कैग ने यह भी पाया कि तीन अपात्र कंपनियों को 2015-2016 के बीच आवंटन कर दिया गया, जिनके पास जरूरी पात्रता नहीं थी। रिपोर्ट में अनियमितताओं के बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई का कोई उल्लेख नहीं है।

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