नोएडा पुलिस कमिश्नरेट ने साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों को देखते हुए बड़ी कार्रवाई की है। पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह के नेतृत्व में एक विशेष अभियान चलाकर साइबर अपराध में उपयोग किए जा रहे 13,000 से अधिक मोबाइल नंबरों को बंद कराया गया है। इन नंबरों का उपयोग धोखाधड़ी, ठगी या ठगी के प्रयासों में किया जा रहा था, जिससे आम नागरिकों को भारी आर्थिक नुकसान हो सकता था।
पुलिस की जांच में सामने आया कि ये मोबाइल नंबर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लिए गए थे या फिर जालसाजों ने भोले-भाले लोगों की जानकारी का दुरुपयोग कर सिम कार्ड प्राप्त किए थे। इन नंबरों के जरिए लोगों को झूठे कॉल, एसएमएस या लिंक भेजकर उनके बैंक खातों से पैसे उड़ाए जा रहे थे। कई मामलों में तो लोग खुद को सरकारी अधिकारी, बैंक कर्मचारी या इनकम टैक्स अधिकारी बताकर लोगों को भ्रमित कर उनके खाते खाली कर देते थे।
नोएडा पुलिस कमिश्नरेट ने इन मोबाइल नंबरों की पहचान एक मजबूत साइबर निगरानी तंत्र के जरिए की। इसके तहत तकनीकी विशेषज्ञों और साइबर विशेषज्ञों की एक टीम ने पिछले कुछ महीनों में दर्ज की गई साइबर ठगी की शिकायतों का विश्लेषण किया। इसके बाद इन नंबरों की जानकारी मोबाइल सेवा प्रदाताओं के साथ साझा की गई और उचित कानूनी प्रक्रिया के तहत इन नंबरों को बंद करवाया गया।
पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने इस कार्रवाई को लेकर कहा कि, “साइबर अपराध से निपटने के लिए केवल एफआईआर दर्ज करना ही पर्याप्त नहीं है। हमें टेक्नोलॉजी का उपयोग कर अपराध के मूल स्रोत तक पहुंचना होगा और ठगों को उनका तंत्र नष्ट करना होगा। यह कदम उसी दिशा में एक ठोस प्रयास है।” उन्होंने यह भी बताया कि आगे भी साइबर अपराधियों पर नजर रखी जाएगी और जरूरत पड़ने पर और मोबाइल नंबरों को भी ब्लॉक किया जाएगा।
नोएडा पुलिस की यह कार्रवाई साइबर अपराध पर नियंत्रण की दिशा में एक बड़ा और सकारात्मक कदम माना जा रहा है। इससे न केवल ठगी के मामलों में कमी आने की संभावना है, बल्कि आम लोगों में साइबर जागरूकता भी बढ़ेगी। पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध कॉल या लिंक पर अपनी निजी जानकारी साझा न करें और किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी की स्थिति में तुरंत पुलिस या साइबर सेल से संपर्क करें।
यह अभियान पूरे प्रदेश में साइबर अपराध के खिलाफ पुलिस की सख्ती का प्रतीक बन गया है और उम्मीद है कि इससे ठगों के नेटवर्क पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।