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सचिव व प्रधान की मिलीभगत से घोटाले का आरोप!, बिना टेंडर किए कराया जा रहा कार्य

ग्राम पंचायत बार में जन सूचना केंद्र के निर्माण के लिए मनरेगा के तहत 5 लाख रुपए स्वीकृत हुए थे। जन सूचना केंद्र निर्माण के लिए 8 जून को निविदा प्रकाशन हुई और 15 जून को निविदा खुलने की तारीख है। लेकिन इससे पहले ही 50 फीसदी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। जो निर्माण कार्य हुआ भी है वो भी बिना मानकों के हुआ है। ग्राम विकास अधिकारी इस मामले में कुछ बोलने को तैयार नहीं है। वहीं विकास खंड अधिकारी आलोक कुमार ने जांच करवाने की बात कही।

By: Desk Team  RNI News Network
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सचिव व प्रधान की मिलीभगत से घोटाले का आरोप!, बिना टेंडर किए कराया जा रहा कार्य

ललितपुरः योगी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रही है। वहीं कई अधिकारी भ्रष्टाचार के समंदर में डूबे नजर आ रहे हैं। खबर ललितपुर से है जहां बार ब्लॉक के ग्राम पंचायत बार मेंं विकास कार्यों को मनमाने तरीके से अंजाम देते हुए सरकार को राजस्व का चूना लगाया जा रहा है। ग्राम प्रधान हर काम में कमाई के चक्कर में कायदे कानून ताक पर रखकर बेपरवाह हैं। न तो उन्हें जांच की चिंता है ना अधिकारियों का डर। ग्राम पंचायत में प्रधान और सचिव का बेलगाम राज चल रहा है। अपने चहेते ठेकेदार को काम देने के लिए ग्राम विकास अधिकारी ने नियमों की धज्जियां उड़ाई है।

(प्रधान, ग्राम पंचायत बार)

बता दें कि ग्राम पंचायत बार में जन सूचना केंद्र के निर्माण के लिए मनरेगा के तहत 5 लाख रुपए स्वीकृत हुए थे। जन सूचना केंद्र निर्माण के लिए 8 जून को निविदा प्रकाशन हुई और 15 जून को निविदा खुलने की तारीख है। लेकिन इससे पहले ही 50 फीसदी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। जो निर्माण कार्य हुआ भी है वो भी बिना मानकों के हुआ है। ग्राम विकास अधिकारी इस मामले में कुछ बोलने को तैयार नहीं है। वहीं जब विकास खंड अधिकारी आलोक कुमार से बात की गई तो उन्होंने जांच करवाने की बात कही। लोगों का आरोप है कि ग्राम विकास अधिकारी प्रदीप त्रिपाठी को जिन ग्राम पंचायतों को कार्यभार मिला हुआ है अगर उन ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों की सही से जांच की जाए तो बहुत बड़ा भ्रष्टाचार सामने उजागर हो सकता है। ग्रामीणों का आरोप है छोटी सी तनख्वाह पाने वाले सचिव लाखों की लग्जरी गाड़ियों में घूमते हैं और करोड़ों के मालिक बन गए हैं।

इस मामले में अधिकारियों की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। कर्मचारियों की बेफिक्री का आलम ये है कि बगैर काम किए ही लाखों रुपए फर्जी तरीके से निकाले जा रहे हैं। यहां तक कि कई ग्राम पंचायतों में फर्जी फर्मो के नाम से बिल लगाकर सरकारी धनराशि का गोलमाल किया गया। अधिकांश मामलों की जानकारी अधिकारियों को होने के बावजूद कोई कार्रवाई ना होना बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहा है।

ललितपुर से संवाददाता देवेंद्र यादव की रिपोर्ट

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