लखीमपुर खीरी के धौरहरा तहसील के ग्राम बबुरी में एक आवारा तेंदुए के अचानक ईंट भट्टे में घुसने से अफरा-तफरी मच गई। तेंदुए की मौजूदगी से मजदूरों में भगदड़ मच गई, लेकिन इस बीच गांव का एक 22 वर्षीय युवक बहादुरी से सामने आया और तेंदुए से भिड़ गया। युवक ने तेंदुए को काफी देर तक पकड़ रखा, जिससे आसपास के ग्रामीण भी ईंट-पत्थरों से तेंदुए पर हमला करने लगे। इस बहादुरी से युवक ने गांव वालों को समय दिया ताकि वे सुरक्षित स्थान पर पहुंच सकें। हालांकि, संघर्ष के दौरान तेंदुए ने युवक पर हमला किया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया।
युवक को तुरंत स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है। वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंच चुकी है और तेंदुए को पकड़ने के लिए सर्च ऑपरेशन जारी है। इलाके के लोग बता रहे हैं कि पहले भी इस क्षेत्र में तेंदुए की मौजूदगी दर्ज हो चुकी है, लेकिन इस बार तेंदुए ने सीधे लोगों पर हमला किया, जो चिंताजनक बात है।
इस पूरी घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें युवक की बहादुरी साफ देखी जा सकती है। लोग युवक की हिम्मत और साहस की जमकर तारीफ कर रहे हैं। इस घटना ने वन्य जीवों और इंसानों के बढ़ते संपर्क की समस्या को भी उजागर किया है। बढ़ते अतिक्रमण और जंगलों के सिकुड़ने से जंगली जानवर बस्तियों के करीब आ रहे हैं, जिससे ऐसे हादसे बढ़ रहे हैं।
सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए सरकार पर वन और पर्यावरण के प्रति लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने एक्स (Twitter) पर लिखा कि घायल मजदूर का बेहतर इलाज किया जाए। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के दौरान वनों की लूट और अतिक्रमण बढ़ा है, जिससे जंगली जानवर बस्तियों में आने को मजबूर हो रहे हैं। अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि जब तक पर्यावरण संरक्षण की सोच वाली सरकार नहीं आएगी, तब तक वन संरक्षण संभव नहीं होगा। उनका कहना था, “वन बचेंगे तो सब बचेंगे।”
यह घटना न केवल एक बहादुर युवक की हिम्मत की कहानी है, बल्कि वन्य जीवों और मानव समुदाय के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डालती है। विशेषज्ञ भी कहते हैं कि जंगलों के कटाव और अतिक्रमण को रोकना होगा ताकि जंगली जानवर अपने प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रह सकें और मानव-वन्य जीव संघर्ष को कम किया जा सके।
वन विभाग को त्वरित कार्रवाई करते हुए इस तेंदुए को पकड़ने और सुरक्षित जंगलों में छोड़ने के साथ-साथ स्थानीय लोगों को जागरूक करने की भी जरूरत है। साथ ही, सरकार को पर्यावरण संरक्षण के लिए सख्त कदम उठाने होंगे ताकि ऐसी घटनाएं भविष्य में कम हों और वन्य जीवों और इंसानों के बीच सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व कायम रहे।
इस पूरी घटना ने समाज को यह संदेश दिया है कि वन और पर्यावरण की रक्षा हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है, जिससे न केवल प्रकृति का संरक्षण होगा बल्कि इंसानों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।