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Agra: वसंती रंग से रंगा दयालबाग, इसी दिन आचार्य हुजूर साहब ने रखी थी इसकी नींव

बसंत पंचमी या श्री पंचमी हिन्दू त्यौहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती, कामदेव और विष्णु की पूजा की जाती है। यह पूजा विशेष रूप से भारत, बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है।

By: Desk Team  RNI News Network
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Agra: वसंती रंग से रंगा दयालबाग, इसी दिन आचार्य हुजूर साहब ने रखी थी इसकी नींव

आज वसंत पंचमी के दिन चारो तरफ देश में वासंती छटा बिखरी दिख रही है। लेकिन, आगरा के दयालबाग में वसंत पंचमी का विशेष महत्व है। बता दें कि राधास्वामी सतसंग मत वसंत पंचमी के दिन ही बना था। इसके अलावा आज ही के दिन ही दयालबाग की नींव भी रखी गई थी और दयालबाग के 109 साल हो गए हैं। दयालबाग में वसंत को लेकर अलग उत्सुकता रहती है ऐसे में यहाँ कई दिनों पहले से ही इसकी तैयारी शुरू कर दी जाती हैं और कालोनियों को सजा दिया जाता है।

Agra: Dayalbagh colored with spring colors, on this day Acharya Huzoor Saheb had laid its foundation

Agra: Dayalbagh colored with spring colors, on this day Acharya Huzoor Saheb had laid its foundation

क्यों है दयालबाग के लिए वसंत पंचमी खास

राधास्वामी मत को मानने वाले अनुयायी पूरी दुनिया में फैले हुए हैं और आगरा का दयालबाग इस मत का केंद्रबिंदु है। साल 1861 में वसंत पंचमी के ही दिन हुजूर स्वामीजी महाराज ने सबसे पहले पन्नी गली में सर्वसाधारण को तारने के लिए सतसंग की शुरुआत की थी। बता दें कि 20 जनवरी 1915 को राधास्वामी मत के पांचवें आचार्य हुजूर साहब जी महाराज ने ‘मुबारक कुएं’ के पास स्थित शहतूत के पौधे का रोपण किया था जिसके बाद दयालबाग कालोनी की नींव पड़ी थी। इस वसंत पर दयालबाग कालोनी के 109 साल पूरे हो गए हैं। वहीं, राधास्वामी मत निरन्तर प्रगति पर चलते हुए 206 संवत वर्ष में अब पहुंच गया है।

मुबारक कुएं का महत्वता

दयालबाग में मुबारक कुएं का एक अलग महत्व है। ऐसा बताया जाता है कि स्वामीजी महाराज जब सुबह भ्रमण पर जाते थे तो वो दातून के बाद मुबारक कुएं के पानी का प्रयोग कर मुंह धुलते थे। और राधास्वामी मत के दूसरे आचार्य (संत सतगुरु) उस कुएं से पानी खींचकर हुजूर स्वामीजी की सेवा में पेश करते थे। आपको बता दें कि इस परिसर में ‘मुबारक कुआं’ और ‘शहतूत का पेड़’ वर्तमान में संरक्षित है। पर उस समय मुबारक कुएं के पास ऊंचे-ऊंचे टीले और कटीलीं झाड़ियां होती थी।

रंगा दयालबाग!

वसंत पर्व को ध्यान में रखकर दयालबाग राधास्वामी सत्संग सभा की प्रत्येक कालोनियों को पीले रंग से सजाया गया जिसमें हर कूचा, हर गली को पीत रंग से संवारा गया है। ये तैयारियां एक या दो दिन पूर्व से नहीं बल्कि महीनों पहले ही शुरू हो जाती हैं।

इसी के साथ वसंत के अवसर पर घरों के बाहर क्यारी और गमलों में पीले फूल अपनी शोभा दिखाएं इसके लिए पहले से ही पौधा रोपण कर दिया जाता है। आज के दिन यदि आप दयालबाग की राधानगर, स्वामी नगर, प्रेम नगर और दयालनगर कालोनी की ओर जाते हैं तो आपको वातावरण में हर तरफ पीत रंग की शोभा से रंगा पर्यावरण नजर आएगा। इस समय ऐसा कोई घर नहीं होगा, जहाँ घर के बाहर फूल न लगे हों।

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