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एक जगह ऐसी जहां तीज के दिन मनाया जाता है शोक, देखें पूरी रिपोर्ट…

देशभर में तीज का त्यौहार पूरे धूमधाम और खुशियों के साथ मनाया गया। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी जगह के बारे में जहां पिछले 1400 सालों से तीज का त्यौहार शोक के रूप में मनाया जाता है। जहां पड़ोस की लड़कियां तीज पर सज धजकर अपने हाथों में मेहंदी लगाकर खुशियां मना रही थी तो वहीं संभल के हल्लू सराय की गलियां सूनी नजर आती है और महिलाएं शोक मनाती दिख रही थी।

By: Desk Team  RNI News Network
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एक जगह ऐसी जहां तीज के दिन मनाया जाता है शोक, देखें पूरी रिपोर्ट…

संभलः देशभर में तीज का त्यौहार पूरे धूमधाम और खुशियों के साथ मनाया गया। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी जगह के बारे में जहां पिछले 1400 सालों से तीज का त्यौहार शोक के रूप में मनाया जाता है। जहां पड़ोस की लड़कियां तीज पर सज धजकर अपने हाथों में मेहंदी लगाकर खुशियां मना रही थी तो वहीं संभल के हल्लू सराय की गलियां सूनी नजर आती है। घरों में खुशी के बजाय मातम पसरा रहता है। जी हां हम बात कर रहे हैं करीब 1400 वर्ष पूर्व मनोकामना मंदिर के कुण्ड में पृथ्वीराज चौहान ने शुल्क (कर) लगा दिया था। जो भी उस कुण्ड में नहायेगा वो कर अदा करेगा। बताया जाता है कि कन्नौज निवासी लाखन मलखान उदल को हिनलाल देवी माँ काली ने सपने में दर्शन दिए और कहा कि यहां पर कर मुक्त करो। इस सपने के बाद सुबह होते ही लाखन मलखान कन्नौज से अपनी पूरी सेना के साथ जनपद संभल पहुँचे और मंदिर से शुल्क (कर) को लेकर पृथ्वीराज चौहान से युद्ध किया। और तीज के दिन इस युद्ध में उनकी मौत हो गयी और पूरी कन्नौज विरादरी में शोक की लहर दौड़ गयी। जिस कारण आज से 1400 सालों से सदर कोतवाली इलाके के संभल के हल्लू सराय में तीज का त्यौहार नहीं मनाया जाता। बल्कि लाखन मलखान उदल की मौत पर शोक मनाया जाता है।

स्थानीय लोगों का कहना था कि युद्ध के कारण हमारे महाराज की आज के दिन मौत हो गयी थी इसी वजह से हम लोग तीज का त्योहार नहीं मनाते। मान्यता है कि यदि यहां कोई तीज के त्योहार मनाता है तो उसके घर में कोई न कोई दुर्घटना हो जाती है। पिछले साल एक घर की लड़की ने अपने हाथों पर मेहदी लगाई थी तो मोहल्ले वासियों का कहना था कि उसके भाई की उसी दिन मौत हो गयी थी और दूसरे घर में भी एक लड़की ने अपने हाथों में मेंहदी रखी तो उसकी अचानक तबियत ख़राब होने लगी। इसलिए इस दिन पूरे मोहल्ले में शोक मनाया जाता है। लोग अपने राजा को आज के दिन याद करते हैं।

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