आगरा इस समय भीषण बाढ़ की चपेट में है। 47 साल बाद यमुना नदी ने ऐसा रौद्र रूप दिखाया है, जिसने 1978 की यादें ताज़ा कर दीं। लगातार बारिश और नदी में बढ़ते जलस्तर के कारण शहर का बड़ा इलाका जलमग्न हो चुका है। यमुना का पानी कैलाश घाट से लेकर बटेश्वर तक फैल गया है। सबसे बड़ा असर ताजमहल के पीछे बने पार्क पर देखा गया है, जो पूरी तरह डूब चुका है और पानी स्मारक की बाउंड्री तक पहुँच गया है।
बाढ़ का असर शहर और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में गहरा पड़ा है। आगरा की लगभग 25 कॉलोनियां और आसपास के 40 से अधिक गाँव पूरी तरह प्रभावित हैं। प्रशासन ने अब तक 50,000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकालकर राहत शिविरों में शिफ्ट किया है। लोगों के घरों में पानी भर गया है, मवेशी और खेती-बाड़ी बर्बाद हो गई है।
हालात से निपटने के लिए प्रशासन ने एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को राहत व बचाव कार्य में लगाया है। कई जगह नावों की मदद से लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुँचाया जा रहा है। राहत शिविरों में भोजन, पानी और दवाइयों की व्यवस्था की जा रही है।